टाटा समूह के सिंगुर संयंत्र में काम रोके जाने पर भारतीय कंपनियों ने निराशा के स्वर में अपने-अपने विचार व्यक्त किए हैं। जिन परिणामों की आंच उन्हें तपा रही है, वे इससे भी कहीं आगे जाते हैं।
सीआईआई के अध्यक्ष और आईसीआईसीआई बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी के वी कामथ का कहना है, ‘यह एक बहुत बड़ी मुसीबत है। विभिन्न जगहों पर निवेश करने से पहले निवेशक अपने फैसले पर दोबारा सोचेंगे।’
उद्योग जगत के प्रमुखों को चिंता है कि अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाने वाले टाटा समूह पर अगर राजनैतिक दबाव बनाया जा सकता है तो दूसरे बहुत पीछे नहीं हैं। टीवीएस मोटर्स के मुख्य प्रबंध निदेशक, वेणु श्रीनिवासन का कहना है, ‘राजनीति ने परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यह सिर्फ पश्चिम बंगाल के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए बुरी खबर है।’
पूरी दुनिया की नजरें जिस परियोजना पर टिकी हैं और राजनीति की शिकार हो गई है, उस परियोजना ने कुछ राजनैतिक नेताओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जो छोटे उद्देश्यों को पूरा करने के लिए देश के बड़े फायदे की अनदेखी कर देते हैं।
अशोक लीलैंड के प्रबंध निदेशक आर शेषासयी का कहना है, ‘इस स्थिति से पता चलता है कि राजनैतिक पार्टियां फैसला लेने और देशहित में समाधान निकालने पर पूरा ध्यान नहीं दे रही हैं। मुख्य परियोजना होने की वजह से दुनिया की इस पर नजर है और इस मसले से दुनिया के बाकी हिस्सों को गलत संकेत मिल रहे हैं।’
कुछ लोग पश्चिम बंगाल में संभावित निवेश के भविष्य को लेकर चिंता में हैं। लार्सन ऐंड टुर्बो के चेयरमैन ए एम नाइक का कहना है कि अगर कंपनी पश्चिम बंगाल से अपना हाथ खींच लेती है तो राज्य में आगे होने वाले निवेशों पर बुरा असर पड़ेगा। उन्होंने इस मसले पर एक मैत्रीपूर्ण समाधान की बात कही। उनका कहना है, ‘मेरा मानना है कि इस मसले से जुड़े सभी लोगों को एक मैत्रीपूर्ण समाधान के लिए काम करना चाहिए।’
डनलप इंडिया और जेसोप लिमिटेड के चेयरमेन पवन के रुइया का कहना है, ‘एक समय में इससे बुरा कुछ भी नहीं हो सकता, जब राज्य में विनिर्माण गतिविधियों ने लंबे अंतराल के बाद रफ्तार पकड़ी थी।’ उन्होंने कहा, ‘प्रक्रिया को दोबारा पटरी पर लाना काफी मुश्किल काम होगा।’
सीमेंट उद्योग जो बुनियादी ढांचागत सुविधाएं मुहैया कराने वाली कंपनियों की बढ़ती मांग पर नए संयंत्रों को लगा रही है भी इस घटना को लेकर काफी निराश है। श्री सीमेंट के प्रबंध निदेशक एच एम बांगुर का कहना है, ‘इससे हम बेहद गुस्से में हैं। अगर उद्योग को जमीन की जरूरत है तो वे कहां जाएं?’
पश्चिम बंगाल के लिए मौका हाथ से गंवाने के बाद कहते हुए सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बेनर्जी का कहना है, ‘इस मामले से जुड़ी लोगों के बीच बातचीत की कमी के कारण टाटा को इस दुर्भाग्यपूर्ण नतीजे पर पहुंचा दिया है।’
बावजूद इसके जो कंपनियां पश्चिम बंगाल में निवेश कर चुकी हैं, उनका कहना है कि वे अपनी परियोजनाओं को आगे ले जाएंगी। भूषण स्टील के प्रबंध निदेशक नीरज सिंघल का कहना है, ‘हम बंगाल में अपनी परियोजनाओं को आगे बढ़ाएंगे। इसका असर हमारी परियोजनाओं पर नहीं पड़ेगा। हम पहले ही बंगाल में जमीन खरीदने की कोशिशों में हैं।’