देश में विकसित पहले कोविड-रोधी इंट्रा-नेजल (नाक के जरिये दिए जाने वाले) टीके को आज मंजूरी दे दी गई। भारत बायोटेक द्वारा तैयार इनकोवैक को भारत के औषधि महानियंत्रक ने सीमित आपात उपयोग की मंजूरी दी है। यह नाक के रास्ते दिया जाने वाला दुनिया का दूसरा कोविड-19 टीका है। इस हफ्ते की शुरुआत में चीन के नियामक ने कैनसिनो बायोलॉजिक्स के इंट्रा-नेजल टीके को मंजूरी दी थी।
इनकोवैक चिम्पांजी एडिनोवायरस वेक्टर्ड नेजल टीका है, जिसे नाक के रास्ते बूंद के रूप में दिए जाने के लिए विशेष तौर पर विकसित किया गया है। कंपनी ने कहा कि नाक के जरिये टीका देने की प्रणाली को इस तरह से डिजाइन और बनाया गया है, जिससे यह निम्न व मध्यम आय वाले देशों के लिए किफायती हो। इनकोवैक 2 से 8 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में सुरक्षित रह सकता है। दुनिया भर में नाक और मुंह से दिए जाने वाले करीब 100 कोविड-19 टीकों पर काम चल रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने ट्वीट में कहा कि नेजल टीके को 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के प्राथमिक टीकाकरण में आपात स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। इस कदम से कोविड-19 महामारी के खिलाफ हमारी ‘सामूहिक लड़ाई’ को और मजबूती मिलेगी।
भारत बायोटेक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कृष्णा एला ने कहा, ‘इनकोवैक को मंजूरी मिलने की घोषणा करते हुए हमें गर्व है। यह इंट्रा-नेजल टीका तकनीक और आपूर्ति प्रणाली में वैश्विक स्तर पर रुख बदलने वाला होगा। कोविड-19 टीके की कम मांग के बावजूद हम इंट्रा-नेजल टीके का विकास जारी रखेंगे ताकि हम भविष्य में होने वाले किसी भी रोग के संक्रमण के लिए तकनीकी तौर पर तैयार रह सकें।’
भारत बायोटेक के सूत्रों ने कहा कि यह वायरल वेक्टर प्लेटफॉर्म पर आधारित इंट्रा-नेजल टीका है। ऐसे में इसे व्यापक पैमाने पर बनाने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। भारत बायोटेक के कोवैक्सीन के साथ इस तरह की समस्या देखी गई थी। एक सूत्र ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि इनकोवैक टीके का उत्पादन क्षमता आसानी से सालाना 1 अरब खुराक की जा सकती है।
इंट्रा-नेजल कोविड-19 टीका नाक और मुंह की पतली श्लेष्मा झिल्ली में प्रतिरोधक कोशिका विकसित कर सकता है। देखा गया है कि सॉर्स-कोव-2 वायरस इसी रास्ते से शरीर में प्रवेश करता है। ऐसे में यह टीका वायरस को शरीर में घुसने और दूसरे अंगों में फैलने से रोक
सकता है। विशेषज्ञों ने कहा कि वायरस को प्रवेश बिंदु पर ही रोकने का विचार निश्चित तौर पर अच्छा है। वरिष्ठ वायरोलॉजिस्ट और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर में क्लीनिकल वायरोलॉजी ऐंड माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पूर्व प्रमुख जैक जॉन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि प्रत्येक नए स्वरूप के साथ कोविड वायरस की इन्क्यूबेशन अवधि घट रही है। अब यह अवधि घटकर 3 दिन रह गई है। प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने और ऐंटीबॉडी बनने में 5 से 6 दिन लगते हैं। यही वजह है हम हर साल फ्लू का टीका लेते हैं ताकि हमारा ऐंटीबॉडी स्तर समय-समय पर बढ़ता रहे। ऐसे में कोविड के लिए इंट्रा-नेजल टीके को भी नियमित समय पर लेने की जरूरत होगी।
