बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने कहा है कि पीरामल समूह का रिलायंस कैपिटल (आरकैप) के लिए बोली लगाना बीमा कानूनों के खिलाफ है। नियामक ने आरकैप के प्रशासक को चि_ी लिखकर कहा है कि पिछले साल डीएचएफएल के अधिग्रहण के बाद पीरामल समूह उसकी एक जीवन बीमा कंपनी में प्रवर्तक हिस्सेदारी हासिल कर चुकी है। अगर समूह आरकैप का अधिग्रहण करता है तो वह रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस का भी प्रवर्तक बन जाएगा। ऐसे में पीरामल समूह दो बीमा कंपनियों का प्रवर्तक बन जाएगा, जिसकी इजाजत बीमा नियामकीय व्यवस्था नहीं देती।
आईआरडीएआई ने 12 मई की चि_ी में कहा है, ‘रिलायंस कैपिटल वास्तव में रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की होल्डिंग कंपनी और प्रवर्तक है। अगर पीरामल समूह रिलायंस कैपिटल लिमिटेड को खरीदता है तो रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी भी उसकी हो जाएगी और वह दो जीवन बीमा कंपनियों- प्रामेरिका लाइफ इंश्योरेंस कंपनी और रिलांयस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी का प्रवर्तक बन जाएगा। यह बीमा क्षेत्र के नियामकीय ढांचे के खिलाफ होगा।’
पीरामल समूह को इस बारे में भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला। सूत्रों ने बताया कि पीरामल समूह इस मामले में प्रशासक से बात कर रहा है और आईआरडीएआई से भी संपर्क में है। रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस साझे उपक्रम वाली कंपनी है, जिसमें रिलायंस कैपिटल की 51 फीसदी और निप्पॉन लाइफ की 49 फीसदी हिस्सेदारी है।
आईआरडीएआई किसी भी व्यक्ति को एक ही तरह के कारोबार यानी जीवन बीमा कारोबार, सामान्य बीमा कारोबार और स्वास्थ्य बीमा कारोबार से जुड़ी एक से अधिक कंपनियों का प्रवर्तक नहीं बनने देता। प्रमेरिका लाइफ इंश्योरेंस डीएचएफएल इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड और प्रूडेंशियल इंटरनैशनल इंश्योरेंस होल्डिंग्स लिमिटेड का संयुक्त उपक्रम है। डीएचएफएल इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड पीरामल कैपिटल ऐंड हाउसिंग फाइनैंस लिमिटेड के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है और साझे उपक्रम वाली जीवन बीमा कंपनी में पीरामल एंटरप्राइजेज की 50 फीसदी हिस्सेदारी है।
इसके अलावा पीरामल समूह की श्रीराम लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की होल्डिंग कंपनी श्रीराम कैपिटल में 20 फीसदी हिस्सेदारी है, जिस कारण बीमा कंपनी में भी उसकी 14.9 फीसदी परोक्ष हिस्सेदारी है। इसे आईआरडीएआई के दिशानिर्देशों के तहत मंजूरी नहीं है। इन दिशानिर्देशों में कहा गया है कि कोई भी निवेशक किसी बीमा कंपनी की चुकता इक्विटी पूंजी में अकेले 10 फीसदी और संयुक्त रूप से 25 फीसदी से अधिक हिस्सा नहीं रख सकता है। हालांकि पीरामल समूह ने आईआरडीएआई से आग्रह किया है कि वह 4 मई 2022 के बाद 18 महीने के भीतर अपनी हिस्सेदारी बेच देगा या निर्धारित सीमा (10 फीसदी) तक घटा लेगा। इसे आईआरडीएआई ने स्वीकार कर लिया है। श्रीराम कैपिटल की श्रीराम लाइफ इंश्योरेंस में 74.56 फीसदी हिस्सेदारी है।
रिलायंस कैपिटल के ऋणदाताओं ने संभावित बोलीदाताओं की ठंडी प्रतिक्रिया मिलने के बाद बोली जमा करने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 30 जून कर दी है। 54 संभावित समाधान आवेदकों में से केवल 8 ने उनके साथ बातचीत की है। इनमें से पांच ने कुछ मुद्दों पर सफाई मांगी है, जबकि पीरामल, येस बैंक और एचडीएफसी अर्गो ने समाधान योजना के बारे में बैठक की हैं।
