उच्च न्यायालय ने राजस्व विभाग को निर्देश दिया है कि वह बंडल टेक्नोलॉजिज को 27.51 करोड़ रुपये रिफंड करने पर विचार करे, जो फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म स्विगी चलाती है। कंपनी ने कहा था कि वस्तु एवं सेवा कर निदेशालय (इंटेलिजेंस) की ओर से गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के आरोपों की जांच के दौरान उसने यह धन दबाव में दिया था। न्यायालय ने कहा कि रिफंड का अधिकार जांच की प्रक्रिया से स्वतंत्र है और दोनों को एक दूसरे से नहीं जोड़ा जा सकता। न्यायालय ने कहा कि रिफंड पर विभाग 4 सप्ताह के भीतर उचित आदेश जारी करे।
स्विगी के मालिक ने कहा कि उसने पहली किस्त में 15 करोड़ रुपये और दूसरी किस्त में 12.51 करोड़ रुपये 2019 में दबाव में जमा किए थे, जिससे कि उसके निदेशकों की रिहाई सुनिश्चित हो सके, जिन्हें समन जारी किया गया था और गिरफ्तारी की धमकी दी गई थी। कंपनी ने यह भी कहा कि जांच की पहल शुरू किए जाने के बाद अधिकारियों द्वारा महीनों गुजरने के बाद भी कोई कारण बताओ नोटिस नहीं जारी किया गया। न्यायालय ने राजस्व विभाग के उस बचाव को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि करदाता ने सद्भावना के तहत भुगतान किया था और इसे स्वनिर्धारण के अग्रिम के रूप में माना जाना चाहिए।केपीएमजी इंडिया में अप्रत्यक्ष कर के पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा कि जांच के दौरान जमा धन चाहे दबाव में हो या किसी दूसरी वजह से, यह सामान्य है और कंपनियों द्वारा देनदारी के उचित निर्धारण के बगैर यह किया जाता है। यह फैसला उचित है, जिससे ऐसी कंपनियों को रिफंड लेने में मदद मिलेगी, जहां उनको लगता है कि कर गलत तरीके से जमा किया गया है।