देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास से संबंधित शेयरों पर दांव लगाने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड पिछले एक साल के दौरान शानदार प्रदर्शन वाली श्रेणियों में से एक के तौर पर उभरते हैं। इन फंडों ने 90.63 प्रतिशत का औसत प्रतिफल दिया है, जो टेक्नोलॉजी फंडों और स्मॉल-कैप फंडों के बाद तीसरा सर्वाधिक प्रतिफल है।
इस श्रेणी की 21 योजनाओं में से 7 ने एक साल में 100 प्रतिशत से ज्यादा का प्रतिफल दिया है। वैल्यू रिसर्च के आंकड़े से पता चलता है कि क्वांट इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड और आईडीएफसी फंड ने 123 प्रतिशत और 112 प्रतिफल का प्रतिफल दिया।
फंड प्रबंधकों का कहना है कि इन्फ्रा फंडों में तेजी काफी हद तक तेज आर्थिक विकास के लिए सरकार द्वारा बुनियादी ढांचा निर्माण पर जोर दिए जाने की वजह से आई है।
इन्वेस्को म्युचुअल फंड के फंड प्रबंधक अमित निगम ने कहा, ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश के संदर्भ में बात की जाए तो पता चलता है कि पूर्ववर्ती दो दशकों में भारत ने असमान यात्रा दर्ज की है। वर्ष 2003 और 2010 के बीच मजबूत पूंजीगत खर्च चक्र के बाद, हाल के वर्षों में रफ्तार फीकी पड़ी, और हमने सड़कों, इमारतों तथा जल संसाधनों पर खर्च के लिए ताजा सरकारी प्रयासों में तेजी दर्ज की।’
लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी), अल्ट्राटेक सीमेंट, एनटीपीसी, और भारती एयरटेल जैसे शेयर कुछ इन्फ्रास्ट्रक्चर फंडों के मुख्य निवेश रहे हैं। वैल्यू रिसर्च के आंकड़े से पता चलता है कि एलऐंडटी और अल्ट्राटेक सीमेंट ने पिछले साल के दौरान 108 प्रतिशत और 99 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है।
एमएफ उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों का यह भी मानना है कि नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) और नैशनल मोनेटाइजेशन प्लान (एनएमपी) वित्त वर्ष 2022-25 के दौरा 6 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों की बिक्री करेंगे, जिससे भारत में इन्फ्रा शेयरों को और मजबूती मिलेगी। इसके अलावा, कम ब्याज दर परिवेश से भी ऋण वृद्घि की रफ्तार आसान हो सकती है।
कई इन्फ्रास्ट्रक्चर फंडों को 2004-07 की बाजार मंदी के दौरान पेश किया गया था, लेकिन वे वैश्विक वित्तीय संकट की वजह से अच्छा प्रतिफल देने में विफल रहे थे। पिछले कुछ वर्षों में, इन्फ्रास्ट्रक्चर फंडों ने 12.29 प्रतिशत का औसत प्रतिफल दिया है, जो लार्ज-कैप फंडों (14.68 प्रतिशत) के मुकाबले बेहतर है।
उद्योग के कारोबारियों ने निवेशकों को सिर्फ पिछले प्रदर्शन के आधार पर ऐसे थीमेटिक फंडों में निवेश नहीं करने की सलाह दी है। इस उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इन्फ्रा फंडों में भी उतार-चढ़ाव है और कई बार उन्होंने एक साल के दौरान महज एक अंक में प्रतिफल दिया। ऐसे फंड सिर्फ तेजी के बाजार में अच्छा प्रतिफल देते हैं।’
वर्ष 2013 से इन्फ्रास्ट्रक्चर फंडों ने औसत तौर पर तीन साल में नकारात्मक प्रतिफल और उसके बाद अगले तीन साल में एक अंक में प्रतिफल दिया। सिर्फ 2014 और 2017 में ही वे 59.46 प्रतिशत और 47.95 प्रतिशत का बेहतर प्रतिफल देने में सफल रहे थे।
