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  कंपनियां  मुश्किल में इन्फ्रा और सीमेंट कंपनियां
कंपनियां

मुश्किल में इन्फ्रा और सीमेंट कंपनियां

बीएस संवाददाताबीएस संवाददाता—May 19, 2022 12:48 AM IST
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जनवरी-मार्च की चौथी तिमाही के परिणामों की जानकारी देने के लिए हाल ही में आयोजित कॉन्फ्रेंस में लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) प्रबंधन ने स्वीकार किया कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के कारण कच्चे तेल और अन्य वस्तुओं की कीमतों में अस्थिरता से कच्चे माल की लागत बढ़ी है। इसके अलावा अन्य चुनौतियां भी हैं। डॉलर के मुकाबले रुपये में तेजी से गिरावट आ रही है जिससे जिंसों की कीमतों पर और दबाव पड़ रहा है और केंद्रीय बैंक को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पिछले हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रीपो दर में वृद्धि की जिससे कंपनियों और उपभोक्ताओं के लिए उधार की लागत बढ़ गई। पिछले एक महीने में डॉलर के मुकाबले रुपये में लगभग 2 प्रतिशत की गिरावट रही और पिछले साल मई के अंत के बाद से 72.45 के स्तर से इसमें 7 प्रतिशत की कमी आई है।
कमजोर रुपये से आयातित सामान की लागत बढ़ गई जिससे इस तरह के सामान बनने वाले घरेलू निर्माताओं को कीमतें बढ़ाने के लिए छूट मिल गई। भारत में अधिकांशत: ईंधन का आयात होता है, ऐसे में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते परिवहन की लागत के साथ-साथ बुनियादी ढांचे, सीमेंट सहित सभी उद्योगों की कंपनियों के लिए बिजली की लागत बढ़ गई। कमजोर रुपया लागत को और बढ़ाता है। एलऐंडटी के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक (एमडी) एस एन सुब्रमण्यन ने कहा कि इन मुद्दों के कारण अल्पावधि में मार्जिन पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘हमारे कई अनुबंधों में कीमत के अंतर को लेकर शर्तें होती हैं लेकिन जिंसों की कीमतें बढऩे से मार्जिन पर कुछ प्रभाव पड़ता है। कुल मिलाकर, हमें एक संतुलन बनाना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी अनुबंधों में कीमत अंतर (पीवी) की श्रेणी हो और जब कीमत में वृद्धि, पीवी श्रेणी और जिंस जोखिम के बचाव स्तर से अधिक हो तब फिर से बातचीत की जाए।’ केवल इंजीनियरिंग क्षेत्र की यह दिग्गज कंपनी ही एकमात्र कंपनी नहीं है जो जिंस, मुद्रा और भू-राजनीतिक जोखिमों को कम करने के लिए इन रणनीतियों पर विचार कर रही है। वास्तव में, लागत बढऩे के दौरान भी छोटे खिलाड़ी अधिक जोखिम में होते हैं और इससे उनकी कार्यशील पूंजी की आवश्यकता बढ़ जाती है। बुनियादी ढांचे (इन्फ्रा) और सीमेंट कंपनियों पर अपनी हालिया रिपोर्ट में ब्रोकिंग कंपनी शेयरखान ने कहा कि ये कंपनियां वित्त वर्ष 2023 में जिंसों और ब्याज की अधिक लागत के दबाव को महसूस करेंगी जिससे मुनाफे में नुकसान होगा। जबकि इन्फ्रा कंपनियां भी आंशिक रूप से मार्जिन दबाव को दूर करने और कमाई बढ़ाने के लिए ऑर्डर आदि से जुड़ी गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान दे सकती हैं। हालांकि सीमेंट कंपनियां पिछले कुछ महीनों में लागत दबावों के बोझ को ग्राहकों पर डालने के लिए कीमतों में वृद्धि करना जारी रख सकती हैं। अप्रैल में, अधिकांश सीमेंट कंपनियों ने कीमतों में 8.33 प्रतिशत की वृद्धि की थी और इसके 50 किलोग्राम की एक बोरी की कीमत 360 रुपये प्रति बोरी से 390 रुपये कर दी थी।
हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि कंपनियों के लिए उधार लेने की लागत का प्रबंधन अल्पावधि से मध्यम अवधि में ऋ ण पर ब्याज खर्च अधिक होने की वजह से एक चुनौती बनी रहेगी। लॉजिस्टिक्स और ईंधन, सीमेंट कंपनियों के लिए एक बड़े खर्च का घटक हैं और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और रुपये में कमजोरी के चलते माल ढुलाई और ईंधन की लागत में वृद्धि की उम्मीद है। उदाहरण के लिए सेंट्रम ब्रोकिंग के चौथी तिमाही के अपडेट के अनुसार अल्ट्राटेक सीमेंट के बिजली और ईंधन, माल-ढुलाई और प्रबंधन की कुल लागत में हिस्सेदारी प्रति टन के आधार पर लगभग 55 प्रतिशत है। शेयरखान ने इन कंपनियों के भविष्य के नजरिये के बारे में कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में सीमेंट कंपनियों के हमारे कवरेज में सपाट कारोबार और उत्पादन की बढ़ी हुई लागत के कारण शुद्ध आमदनी में सालाना आधार पर 23 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जाएगी। निर्माण सामग्री वाली कंपनियों में कीमतों से जुड़ी वृद्धि दिख सकती है जिसके परिणामस्वरूप राजस्व में 29 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि होगी। हालांकि कच्चे माल और गैस की कीमतें अधिक होने की वजह से शुद्ध आमदनी में कमी आ सकती है। यह रुझान वित्त वर्ष 2023 में भी जारी रह सकता है।’
दूसरी ओर, रियल एस्टेट कंपनियां, ब्याज दरों में वृद्धि और जिंसों की बढ़ती लागत के कारण संपत्ति की कीमतों में वृद्धि के बावजूद वित्त वर्ष 2023 में आवास की मांग में तेजी की उम्मीद कर रही हैं। बेंगलूरु स्थित रियल एस्टेट कंपनी ब्रिगेड एंटरप्राइजेज के कार्यकारी निदेशक पवित्र शंकर ने कहा, ‘हमारे ग्राहकों के लिए, उधार लेने की लागत बढ़ेगी। लेकिन ये अब भी ऐतिहासिक रूप से बेहद कम दरें हैं। हम नौकरी के बाजार और मजदूरी में वृद्धि को अच्छी तरह से देख रहे हैं। यह उधारी लागत में किसी भी वृद्धि की भरपाई कर सकता है। ऐसे में अचल संपत्ति में निवेश करने वालों की खरीद क्षमता कम से कम प्रभावित होनी चाहिए। शेयर बाजार में अस्थिरता से भी रियल एस्टेट में निवेश की भावना मजबूत होती है।’
शंकर ने कहा कि हाल ही में रीपो दर में वृद्धि के कारण बिल्डरों के लिए उधार लेने की लागत में मामूली वृद्धि होगी। उदाहरण के तौर पर ब्रिगेड ने अपने आवासीय व्यवसाय में बहुत कम ऋ ण लगाया है और शंकर का कहना है कि इसके अधिकांश वाणिज्यिक पोर्टफोलियो ऋ ण पट्टे पर आधारित थे जो निर्माण क्षेत्र की फंडिंग की तुलना में कम था।
बेंगलूरु के श्रीराम प्रॉपर्टीज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, मुरली मलयप्पन इसके मुकाबले रियल एस्टेट कंपनियों के लिए इनपुट लागत दबावों के अलावा ब्याज दरों में वृद्धि को एक अतिरिक्त परेशानी के रूप में देखते हैं। मलयप्पन ने कहा, ‘मुद्रास्फीति और (इनपुट) लागत में वृद्धि चिंता का विषय है। मुझे उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2023 लागत के लिहाज से रियल एस्टेट क्षेत्र काफी उथल-पुथल से भरा होगा। हम विभिन्न परियोजनाओं की लागत में कम से कम 7-8 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं।’  
हालांकि, वह कहते हैं कि खरीदार की धारणा कम से कम प्रभावित होगी।
उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 का घर के खरीदारों पर एक बड़ा प्रभाव पड़ा है जो घर के मालिक बनना चाहते हैं और वे आवास ऋ ण के मासिक किस्तों में क्रमिक आधार पर मामूली वृद्धि स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।’ इसके अतिरिक्त, कई आवास वित्त कंपनियां, मकान के खरीदारों के लिए लचीले भुगतान विकल्पों की पेशकश कर रही थीं जिससे खरीदारी की धारणा मजबूत हो रही थी।
टाटा रियल्टी ऐंड इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रबंध निदेशक संजय दत्त ने कहा कि चूंकि रियल एस्टेट महंगाई से निपटने के लिए एक प्रमुख सुरक्षा कवच है और यह  ब्याज दर में वृद्धि से लंबे समय में फायदा ही देगा विशेष रूप से ग्रेड ए संपत्तियों के मामले में। उन्होंने कहा कि रुपये के अवमूल्यन का खरीदारों पर सीधा प्रभाव नहीं पड़ा। उन्होंने कहा, ‘वास्तव में, बेहतर नौकरी की संभावनाओं और भर्ती में बढ़ोतरी से हाल के दिनों में वेतन भी बेहतर हुआ है। यहां तक कि अगर निर्माण क्षेत्र में लागत वृद्धि के साथ-साथ आवास ऋ ण दरों में वृद्धि के चलते संपत्ति की कीमतें मामूली रूप से बढ़ जाती हैं तब भी खरीद पर महत्त्वपूर्ण असर नहीं होगा।’

आरबीआईएलऐंडटीजिंस कीमतरीपो दरलार्सन ऐंड टुब्रो
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