परिसर निर्माण में देरी होने की वजह से सॉफ्टवेयर क्षेत्र की दिग्गज कंपनी इन्फोसिस टेक्नोलॉजिस को अपने 3,000 पेशेवरों को पुणे परिसर से चेन्नई भेजना पड़ा है।
कंपनी हिंजेवाडी में अपने नए परिसर का निर्माण करा रही है जो निर्धारित समय से 6 महीने पीछे चल रहा है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) की ओर से उत्तर भारतीयों के खिलाफ आंदोलन की वजह से मजदूरों की कमी हो गई थी और इसी वजह से नए परिसर के निर्माण में देरी हो रही है।
इन्फोसिस की योजना पुणे में अपना सबसे बड़ा परिसर बनाने की है जो बेंगलुरू से भी बड़ा होगा। इस परिसर में एक साथ 25,700 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी। हालांकि निर्माण कार्य समय से पीछे चलने की वजह से ही कंपनी ने पेशेवरों को चेन्नई भेज दिया है।
इन्फोसिस टेक्नोलॉजिज के मानव संसाधन निदेशक टीवी मोहनदास पाई ने बताया, ‘पुणे परिसर में जगह की कमी की वजह से हमें अपने कर्मचारियों को चेन्नई भेजना पड़ा है।’ इसके पहले भी मैसूर में अपने परिसर के निर्माण में भी कंपनी को कुछ ऐसी ही मुश्किलें आई थीं और उसे कर्मचारियों को दूसरी इकाइयों में भेजना पड़ा था।
हिंजेवाडी परिसर का काम इस साल फरवरी में शुरू किया गया था और उस समय निर्माण कार्य में 3,000 मजूदर लगे हुए थे। आंदोलन शुरू होने के बाद अब मजदूरों की संख्या घटकर 1,400 तक रह गई थी। पाई ने कहा, ‘फिलहाल 1,800 मजदूर निर्माण कार्य में जुटे हुए हैं और अगले 24 महीनों में परिसर का काम पूरा हो जाएगा।’
पुणे में इन्फोसिस के पहले परिसर में 4,300 कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था है जबकि नए परिसर में 21,400 कर्मचारी बैठ सकते हैं। हालांकि इस परिसर में अभी आंशिक रूप से काम चल रहा है। इस परिसर के अंदर ही कंपनी के पास एक विशेष आर्थिक क्षेत्र भी है जहां 1,400 सीटों की व्यवस्था है। परिसर का निर्माण पूरा हो जाने के बाद इसकी कुल क्षमता बढ़कर 38,700 सीटों की हो जाएगी।
पाई ने कहा, ‘पुणे शहर से हमारा निर्यात मार्च 2008 में बढ़कर 3,340 करोड़ रुपये का हो गया है जो मार्च 2007 में 2,500 करोड़ रुपये का था। हम पहले ही शहर में 1,250 करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं और उम्मीद है कि अगले दो सालों में यह निवेश बढ़कर 1,550 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।’ कंपनी विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों से फ्रेशर्स को भर्ती करना जारी रखेगी।