ऐसे समय में जब इंडोनेशिया पाम तेल के निर्यात पर लगी रोक हटाने जा रहा है और सरकार परिवहन ईंधनों पर करों में कटौती कर रही है तब रोजमर्रा इस्तेमाल की जाने वाली वस्तु (एमएफसीजी) निर्माता कंपनियों के लिए कमजोर रुपया खेल बिगाडऩे में लगा है। एफएमसीजी के कई उत्पादों के लिए पाम तेल एक प्रमुख घटक होता है।
केवल पाम तेल ही नहीं बल्कि पैकिंग वस्तुओं सहित कई सारी अन्य वस्तुएं रुपये के मूल्य के साथ साथ वैश्विक जिंस कीमतों के साथ जुड़ी हुई हैं।
अंदेशा है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आने से पेंट कंपनियों को भी तगड़ा झटका लगा है।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया फिसलकर 77.9275 के निचले स्तर पर पहुंच गया था और 77.5462 का इसका मौजूदा स्तर पिछले एक महीने में करीब दो फीसदी नीचे है। रुपये का मौजूदा स्तर 2022 की शुरुआत से 4.3 फीसदी और पिछले एक वर्ष में 6.5 फीसदी नीचे है।
रुपये में यह निर्बाध गिरावट ऐसे समय में हो रही है जब एफएमसीजी और पेंट कंपनियां एक वर्ष से अधिक समय से कच्चे माल की बढ़ती लागत से जूझ रही हैं और मजबूरन उन्हें कई बार कीमतों में वृद्घि करनी पड़ी है। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2022 में पेंट कंपनियों ने कीमतों में 20 फीसदी तक का इजाफा किया था। एफएमसीजी कंपनियों ने भी इसी तरह का रुख अपनाया था। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से भी पेंट बनाने में इस्तेमाल होने वाले घटकों की घरेलू कीमतें ऊपर चढ़ी हैं। इसके अलावा, पेंट निर्माण के लिए जरूरी एक प्रमुख कच्ची सामग्री टाइटेनियम डाइऑक्साइड का आयात करना पड़ता है और कमजोर रुपये ने इस घटक को भी महंगा कर दिया है। हालांकि, विश्लेषकों और कंपनी अधिकारियों का मानना है कि इस क्षेत्र पर कमजोर रुपये का असर बहुत बड़ा नहीं होगा।
इंडिगो पेंट्स के प्रबंध निदेशक हेमंत जालान ने कहा, ‘फिलहाल के लिए रुपये में कमजोरी का मामूली असर है। अनिश्चितता की वजह से यह अस्थायी बदलाव है। धीरे धीरे रुपया सुधरकर दोबारा से डॉलर के मुकाबले 75 पर आ जाएगा, लिहाजा यह वास्तव में छोटी समस्या है। बड़ी समस्या यह है कि जिंस कीमतों में बड़ी तेजी से इजाफा हुआ है। पिछले पांच से छह महीनों में उद्योग को तेजी से कीमतों में वृद्घि करनी पड़ी है और जिंस की मुद्रास्फीति को देखते हुए आगे कीमतों में थोड़ी बहुत वृद्घि जारी रहेगी।’ दौलत कैपिटल मार्केट में शोध उपाध्यक्ष सचिन बोबाडे ने कहा कि पेंट कंपनियां आगामी महीनों में कच्ची सामग्री की ऊंची लागत उपभोक्ताओं पर डालने की शुरुआत कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि कीमतों में इजाफा किए जाने के बावजूद मांग पर कोई असर पडऩे वाला नहीं है।
फिलिप कैपिटल इंडिया के उपभोक्ता और खुदरा क्षेत्र में शोध उपाध्यक्ष विशाल गुटका को भी नहीं लगता कि कमजोर रुपया पेंट क्षेत्र पर अधिक असर डाल पाएगा। गुटका ने कहा, ‘कच्चे तेल की मुद्रास्फीति अपेक्षाकृत चिंता की बड़ी वजह है क्योंकि इसके घटकों का इस्तेमाल पेंट के निर्माण के लिए किया जाता है।’ उन्हें लगता है कि इस क्षेत्र को इस बात से कुछ राहत मिली होगी कि 75 फीसदी पेंट पानी में घुलनशील होते हैं। एफएमसीजी कंपनियां भी विभिन्न जिंसों में समग्र मुद्रास्फीति को लेकर चिंतित हैं। मुद्रास्फीति की वजह से उन्हें सामानों के दाम लगातार बढ़ाने पड़ रहे हैं। पार्ले प्राडक्ट्स में श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने कहा, ‘चूंकि इंडोनेशिया पाम तेल के निर्यात पर लगी रोक हटा रहा है, लिहाजा कीमतें मौजूदा स्तर से नीचे आ सकती हैं। ऐसे में पाम तेल की कीमतों में कमी आने पर कमजोर रुपये का असर समाप्त हो जाएगा।’
उन्होंने स्पष्ट किया कि पाम तेल के निर्यात पर इंडोनेशिया द्वारा रोक लगाए जाने से पहले जिन भारतीय कंपनियों ने पाम तेल का भंडारण किया था वे भी भारतीय बंदरगाहों पर ताजा स्टॉक आने से इसमें कमी लाएंगे। इससे घरेलू कीमतों में भी कमी आएगी।
एफएमसीजी की एक बड़ी कंपनी के अधिकारी ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि उन्हें भी लगता है कि जिंसों की कीमतों में नजर आ रही मुद्रास्फीति बड़ी चिंता बनी रहेगी क्योंकि कंपनियों को कच्चे सामग्री में किसी प्रकार की वृद्घि को झेलने के लिए उत्पाद की कीमतों में इजाफे का सहारा लेना होगा।
डॉलर के मुकाबले रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर जाने से पहले भी हिंदुस्तान यूनिलीवर और ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज जैसी बड़ी एफएमसीजी कंपनियों ने कहा था वे मुद्रास्फीति से मुकाबला करने के लिए कीमतों में इजाफा करना जारी रखेंगी।
हिंदुस्तान यूनिलीवर में मुख्य वित्तीय अधिकारी ऋतेश तिवारी ने पिछले महीने परिणाम जारी होने के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हमें क्रमिक रूप से और अधिक मुद्रास्फीति की उम्मीद है और उसी तरह से अपने कारोबार का प्रबंधन करेंगे, हम बचत को आगे बढ़ाने के लिए कड़ाई करना जारी रखेंगे और अपने उपभोक्ता फ्रैंचाइज को सुरक्षित रखते हुए और आगे बढ़ाते हुए व्यवस्थित कीमत वृद्घि की कार्रवाई करेंगे। कीमत के मुकाबले लागत अंतर बढऩे की वजह से अल्पावधि में हमारे मार्जिन में कमी आएगी।’
इसी महीने ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज ने निवेशकों से कहा था कि वह कीमतों में इजाफा करने की बजाय उत्पाद के भार में भारी कटौती करेगी। बिस्कुट की इस दिग्गज कंपनी ने वित्त वर्ष 2022 में कीमतों में 10 फीसदी का इजाफा किया था और बढ़ती लागत से जूझने के लिए पैक के आकार को कम कर दिया है।
वित्त वर्ष 2021 में भार में कटौती का अनुपात 65 फीसदी था जो वित्त वर्ष 2023 में और अधिक होगा। प्रबंधन ने कहा था कि यदि कच्ची सामग्री की कीमतें मौजूदा स्तर पर बनी रहती हैं तो वह कीमतों में 10 फीसदी का इजाफा करेगी।
