वाहन, ड्यूरेबल्स और एफएमसीजी कंपनियां वित्त वर्ष 2022 के लिए अपनी में वृद्धि परिदृश्य को लेकर काफी हद तक सतर्क दिख रही हैं। उनकी चिंता मुख्य तौर पर कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका, कमजोर ग्राहक धारणा और जिंस कीमतों में तेजी को लेकर है। इन सब कारणों से कई कंपनियों को अपने उत्पाद के दाम बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
हालांकि बजाज ऑटो, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और डाबर जैसी कंपनियां इसके अपवाद भी हैं जो लॉकडाउन के खत्म होने के बाद अपने कारोबार में तेजी को लेकर काफी उत्साहित दिख रही हैं। लेकिन अन्य अधिकतर कंपनियों ने इस मुद्दे पर सहमति जताई है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण पैदा हुई आर्थिक चुनौतियों के मद्देनजर वित्त वर्ष 2022 में वृद्धि की रफ्तार सुस्त रहेगी।
पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने कहा, ‘परिदृश्य में अनिश्चितता बरकरार है।’ उन्होंने कहा, ‘काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि अर्थव्यवस्था किस प्रकार खुलती है। हालांकि अधिकतर कंपनियां कोविड-19 की दूसरी लहर से पहले वित्त वर्ष 2022 के दौरान बिक्री में दो अंकों की वृद्धि को लेकर उत्साहित थीं लेकिन अब स्थिति वैसी नहीं रह गई है। यह दूसरी लहर के प्रभाव और टीकाकरण की रफ्तार से जुड़ा हुआ है जो फिलहाल काफी सुस्त है। यदि इसकी रफ्तार बढ़ती है तो हां, परिदृश्य बदल सकता है।’
केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2022 के लिए अपने आर्थिक वृद्धि अनुमान को घटाकर 9.5 फीसदी कर दिया जो पहले 10.5 फीसदी था। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), मूडीज, बार्कलेज और ओईसीडी के अर्थशास्त्रियों ने भी कुछ सप्ताह पहले ऐसा ही किया था। एसबीआई ने अपने अनुमान को सबसे अधिक घटाकर 7.9 फीसदी कर दिया है जो पहले 10.4 फीसदी था।
गोदरेज अप्लायंसेज के कारोबार प्रमुख एवं कार्यकारी उपाध्यक्ष कमल नंदी ने कहा कि इस साल उन्हें पिछले साल की तरह हालात बिगड़ते नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘लेकिन दूसरी लहर के दौरान संक्रमण में वृद्धि के कारण ग्रामीण एवं कस्बाई क्षेत्रों में खपत प्रभावित हुई है। हमें इन क्षेत्रों में पिछले साल के मुकाबले खपत में गिरावट दिख सकती है। हालांकि महानगरों और बड़े शहरों में खपत पिछले साल के मुकाबले थोड़ी अधिक रहनी चाहिए।’
डाबर के मुख्य कार्याधिकारी मोहित मल्होत्रा ने वी आकार में सुधार की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि जुलाई तक लॉकडाउन के पूरी तरह खत्म होने के बाद काफी तेजी से सुधार दिखेगा। कुछ विशेषज्ञ पहले से ही आगाह कर रहे हैं कि कोविड-19 की प्रकृति में बदलाव के मद्देनजर अर्थव्यवस्था को पूरी तरह खोलने में किसी भी तरह की जल्दबाजी से बचना चाहिए। इस बीच, देश में अधिकतर कार कंपनियों की उत्पादन एवं बिक्री टीम भविष्य की योजना तैयार करने के लिए बैठकें कर रही हैं। वे लॉकडाउन के बाद मांग में संभावित तेजी के लिए रणनीतियां बना रही हैं। राज्य 45 दिनों तक लॉकडाउन में सख्ती के बाद धीरे-धीरे ढील देने की रणनीति पर आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में वाहन कंपनियां जून और जुलाई में अपनी बिक्री को रफ्तार देने की योजना बना रही हैं। हालांकि कंपनियां काफी सतर्क दिख रही हैं।
मारुति सुजूकी के कार्यकारी निदेशक शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि पहली लहर के मुकाबले इस बार लोगों में डर काफी अधिक दिख रहा है। इससे ग्रामीण भारत को मदद नहीं मिलेगी जो मारुति की बिक्री में करीब 40 फीसदी का योगदान करता है।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा ने भी कहा है कि खर्च करने लायक आय में कटौती, वाहन और ईंधन की कीमतों में तेजी के कारण घरेलू यात्री वाहन बाजार में बिक्री परिदृश्य को झटका लग सकता है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि उसे पहले की 22 से 25 फीसदी के मुकाबले अब 17 से 20 फीसदी की वृद्धि दिख रही है।
ट्रैक्टर एवं यूटिलिटी व्हीकल बनाने वाली कंपनी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर चिप किल्लत के कारण मांग में सुधार पर दबाव बरकरार है। हालांकि कंपनी भविष्य को लेकर अब भी आशान्वित है।
