प्रमुख वैश्विक औषधि कंपनी रॉश के संस्थापक परिवार के सदस्य कंपनी के 125 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाने के लिए इन दिनों भारत में हैं। संस्थापक फ्रिट्ज हॉफमैन के पड़पोते एवं समूह के वाइस चेयरमैन आंद्रे हॉफमैन और रॉश होल्डिंग के बोर्ड सदस्य जॉर्ग डचमेल ने सोहिनी दास और निवेदिता मुखर्जी से बातचीत में स्विटजरलैंड की इस बहुराष्ट्रीय कंपनी के स्वामित्व एवं नियंत्रण, औषधि कारोबार के भविष्य, प्रतिस्पर्धा, लाभप्रदता जैसे विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। पेश हैं मुख्य अंश:
गलतियों और सीख के लिहाज से रॉश के 125 वर्षों के सफर के बारे में आप क्या कहेंगे?
हॉफमैन: यदि हम कारोबारी सफर की बात करें तो हमारी कंपनी रोगियों एवं स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर काम करने वाली दुनिया की एक सबसे पुरानी कंपनी है। इस दौरान हमने गलतियों के मुकाबले कहीं अधिक अच्छे काम किए हैं। पिछले 125 वर्षों के दौरान हमने ऐसा किया है और हम उम्मीद करते हैं कि अगले 125 वर्षों का सफर भी कम से कम ऐसा ही रहेगा।
अगले 125 वर्षों को आप किस रूप में देखते हैं?
हॉफमैन: वे पिछले 125 वर्षों के मुकाबले कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण दिख रहे हैं। दुनिया बदल चुकी है। हमें जल्द निर्णय लेने होंगे। आगे हवा के झोंके पहले के मुकाबले कहीं अधिक तेज हैं।
डचमेल: हम पिछले 125 वर्षों के सफर पर गौर करते हुए यह देख सकते हैं कि कंपनी ने अपनी दुनिया में हुए अचानक बदलाव के बीच खुद की प्रासंगिकता को बरकरार रखने के लिए नवाचार के जरिये किस प्रकार बदलाव किए।
नवाचार सभी दवा कंपनियों के लिए महत्त्वपूर्ण है। रॉश ने नवाचार पर अलग तरीके से कैसे ध्यान केंद्रित किया?
हॉफमैन: नीयत में फर्क है। कुछ कंपनियां हार नहीं मानती हैं और मुद्दों को अलग तरीके से निपटाती हैं। हम जरूरतों को पूरा करने के लिए नवाचार कर रहे हैं।
क्या आपको लगता है कि आप स्वामित्व को अलग करने और कारोबार को कुशलतापूर्वक निष्पादित करने में समर्थ हैं?
हॉफमैन: हम इस कारोबार में पांचवीं पीढ़ी हैं। विचार यह है कि स्वामित्व एक सक्रिय भूमिका है जिसे व्यवहार में लाने की जरूरत है। आपको दीर्घावधि योजना बनानी चाहिए और हरसंभव स्पष्ट तरीके से भूमिका एवं जिम्मेदारियां आवंटित करनी चाहिए। मालिक की भूमिका प्रबंधक की भूमिका से अलग है। प्रबंधक को रणनीति की विस्तृत रूपरेखा तैयार करने की आवश्यकता होती है जबकि मालिक के लिए लंबी अवधि के लिहाज से तमाम चीजों को व्यवस्थित करने की जरूरत होती है।
कोविड-19 के दौरान भारत की भूमिका के बारे में आप क्या कहेंगे?
डचमेल: भारत ने जिस तरीके से टीकाकरण आगे बढ़ाया वह अद्भुत है।
हॉफमैन: हम रॉश के 125 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं और हम यह भी देखना चाहते हैं कि दुनिया क्या कर रही है। हम यदि देखना चाहते हैं कि 1.4 अरब की आबादी वाला देश क्या कर रहा है। भारत के टीकाकरण कार्यक्रम को सलाम।
महामारी के बाद आपने रणनीति में क्या बदलाव किए और भारत के लिए उसके क्या मायने हैं?
हॉफमैन: केवल बाहरी परिदृश्य में बदलाव के कारण हमारी रणनीति नहीं बदली है। हम एक ओर डायग्नोस्टिक्स पर अपनी रणनीति बना रहे हैं तो दूसरी ओर फार्मास्युटिकल्स पर। सार्वजनिक स्वास्थ्य में डायग्नोस्टिक्स ने अपने मूल्य का प्रदर्शन किया है।
आगे ऐंटी-वायरल के लिए आपकी क्या योजना है?
हॉफमैन: हम यह सुनना चाहते हैं कि बाजार हमें क्या कह रहा है और यदि हम आज कुछ कर सकते हैं तो कल वह रोगियों की जरूरत होगी। हम भारत और दुनिया के लिए ऐसा करना चाहेंगे।
अगली वैश्विक महामारी के लिए आप क्या तैयारी कर रहे हैं?
हॉफमैन: कंपनी में दीर्घावधि सोच से दो महत्त्वपूर्ण काम होता है- पहला, परिसंपत्ति का आवंटन और दूसरा, निवेश का जोखिम कम करने के लिए निर्णय लेना। वैश्विक महामारी से पहले हम सब जानते थे कि इबोला, सार्स आदि कुछ रोगजनक मौजूद हैं। हमें अगले रोगजनक के बारे में समझ विकसित करते हुए और वैज्ञानिक समुदाय को उसके बारे में बताते हुए अगली वैश्विक महामारी के लिए तैयार रहना होगा।
डचमेल: हमने पिछली वैश्विक महामारी से काफी कुछ सीखा है। हमने डायग्नोस्टिक्स के महत्त्व को समझा है।
बाजार में प्रतिस्पर्धा के बारे में आप क्या कहेंगे?
हॉफमैन: (हंसते हुए) नए विचारों के लिए तैयार रहें। यदि लोग इसे अलग तरीके से करते हैं तो उसे स्वीकार करें। मुझे नहीं लगता है कि प्रतिस्पर्धा से हमारा बरताव नियंत्रित होना चाहिए। व्यक्तिगत तौर पर यदि मैं लगातार देखूंगा कि दूसरे लोग कैसे कर रहे हैं तो मैं निराशा हो सकता हूं और मैं ऐसा नहीं होना चाहता।
चीन और भारतीय बाजार के बारे में आपका क्या नजरिया है?
हॉफमैन: इन दोनों देशों में 2.5 अरब रोगी मौजूद हैं और इसे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते। हमें न केवल उत्पादों में नवाचार करने की जरूरत है बल्कि हमारे काम करने के तरीके में भी बदलाव लाने की आवश्यकता है ताकि हम अधिक से अधिक रोगियों की मदद कर सकें।
फिलहाल औषधि उद्योग में सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
हॉफमैन: हमारी वास्तविक चुनौती नवाचार है: हम बीमारी से किस प्रकार ठीक कर सकते हैं, रोगियों को किसी बीमारी से ठीक करने के लिए हम नवाचार कर सकते हैं और उसके लिए हमें प्रौद्योगिकी की जरूरत होती है जो यहां नहीं है। इस नवाचार के लिए सही लोगों का चयन करना सबसे बड़ी चुनौती है।
क्या आप वैश्विक महामारी के दौरान वैक्सीन स्टार बनने से चूक गए?
हॉफमैन: हमारी एक जटिल व्यवस्था है और समाज में हमें सहयोग की आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य सेवा में हमें साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। हमें स्टार्टअप, विश्वविद्यालयों आदि के साथ सक्रिय पीपीपी एवं गठबंधन के साथ काम करने की जरूरत है।
डचमेल: अब वह समय लद चुका है कि किसी वैश्विक समस्याओं का समाधान कोई एक कंपनी कर सके।
