इंडियन ऑयल ने हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में विस्तार करने और भारत का पहला ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र बनाने की योजना तैयार की है। यह मौजूदा कच्चे तेल रिफाइनिंग क्षमता को सालाना 2.5 करोड़ टन तक बढ़ाने की योजना से अलग है।
कंपनी की 62वीं सालाना आम बैठक में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए इंडियनऑयल के चेयरमैन श्रीकांत माधव वैद्य ने कहा, ‘इंडियनऑयल मथुरा रिफाइनरी में देश का पहला ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ संयंत्र तैयार करेगी। जहां हमारी कंपनी ने विभिन्न हाइड्रोजन उत्पादन पर कार्य किया है, वहीं मथुरा रिफाइनरी में नई परियोजना भारत में ग्रीन हाइड्रोजन की पेशकश में अग्रणी होगी।’
उन्होंने कहा, ‘इंडियन ऑयल हाइड्रोजन उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण योजना बना रही है और इस उत्पादन में अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल भी शामिल होगा।’ वैद्य ने कहा कि हाइड्रोजन नए जमाने का उत्सर्जन-मुक्त ईंधन है जो प्रमुख कच्चे तेल आयातक देशों में शुमार भारत के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।
राष्ट्रीय राजधानी में हाल के हाइड्रोजन फ्यूल सेल प्रयोग का जिक्र करते हुए वैद्य ने कहा, ‘दिल्ली में हमारे हाइड्रोजन सीएनजी (एचसीएनजी) प्रयोग से उत्सर्जन घटाने और ईंधन किफायत में सुधार लाने के संदर्भ में हमारी बड़ी सफलता का पता चलता है। बीएस-5 समेत परिवहन बेड़े के साथ, यह हमारे शहरों की हवाई गुणवत्ता सुधारने के लिए भरोसेमंद विकास है।’
इंडियन ऑयल चार नई हाइड्रोजन उत्पादन प्रौद्योगिकियों पर आधारित प्रति दिन एक टन क्षमता की प्रायोगिक इकाइयों की स्थापना की प्रक्रिया में भी है। वैद्य ने कहा कि इंडियनऑयल दिल्ली-एनसीआर में टाटा मोटर्स के साथ साथ 15 फ्यूल सेल बसों का भी परिचालन करेगी।
उन्होंने कहा, ‘अपनी पर्यावरण प्रतिबद्घता को मजबूती प्रदान करते हुए हम पानीपत रिफाइनरी में सेकंड (2जी) और थर्ड जेनरेशन (3जी) एथेनॉल संयंत्र भी लगा रहे हैं। 100 किलोमीटर प्रतिदिन क्षमता का 2जी संयंत्र एथेनॉल बनाने के लिए चावल के भूसे का इस्तेमाल करेगा।’
उन्होंने यह भी कहा कि भारत की बढ़ती ईंधन मांग के लिए कई विकल्प हासिल कराए जाने की जरूरत होगी। वैद्य ने कहा, ‘विभिन्न एजेंसियों का अनुमान है कि भारतीय ईंधन मांग वर्ष 2040 तक बढ़कर 40-45 करोड़ टन पर पहुंच जाएगी, जो मौजूदा समय में 25 करोड़ टन है।’