भारत की कुछ शीर्ष कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने जून तिमाही के नतीजों के बीच सतर्क रहने के लिए चेताया है। उनका कहना है कि वैश्विक मंदी के बीच नरमी की आशंकाएं वास्तविक हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वैश्विक आर्थिक वृद्धि अनुमान को 2022 के लिए घटाकर 3.2 फीसदी और 2023 के लिए 2.9 फीसदी कर दिया है। उसने कहा है कि साल 2021 में 6.1 फीसदी की वैश्विक आर्थिक वृद्धि के मुकाबले यह काफी कम है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) से लेकर लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी), अल्ट्राटेक, जेएसडब्ल्यू स्टील, हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) और आईटीसी तक सभी कंपनियां इससे सतर्क होती दिख रही हैं। उनका कहना है कि समग्र मांग एवं निवेश के लिहाज से अनिश्चितता का माहौल दिख
रहा है। एलऐंडटी के पूर्णकालिक निदेशक एवं मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) आर शंकर रमण ने मंगलवार को कहा, ‘वृद्धि के लिहाज से वैश्विक दबाव दिख रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं अपनी वृद्धि रफ्तार को दुरुस्त करने की कोशिश कर रही हैं और भारत कोई अपवाद नहीं है। हमें फिलहाल स्थिति और उसके प्रभाव पर नजर रखने की जरूरत है।’
पिछले सप्ताह आरआईएल के सीएफओ वी श्रीकांत ने भी लगभग यही धारणा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मंदी की आशंका से तेल बाजार के फंडामेंटल्स भी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने चेताया कि इससे मूल्य और मार्जिन में गिरावट दिख सकती है। बेंचमार्क सिंगापुर-दुबई हाइड्रोक्रैकिंग मार्जिन इस महीने 58 फीसदी लुढ़क गया। इस बेंचमार्क मार्जिन को तेल रिफाइनिंग कंपनियों के लिए लाभप्रदता का एक पैमाना माना जाता है।
बाजार के आकलन में दो प्रमुख उपभोक्ता वस्तु कंपनियों- आईटीसी और एचयूएल- के चेयरमैन कहीं अधिक सख्त दिखे। आईटीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक संजीव पुरी ने पिछले सप्ताह एक वर्चुअल बातचीत में कहा, ‘एफएमसीजी क्षेत्र में महंगाई और मांग पर उसके प्रभाव संबंधी चिंताएं दिखने लगी हैं। हालांकि जिंस कीमतों में नरमी के कुछ शुरुआती संकेत दिख रहे हैं लेकिन परिदृश्य अब भी अस्थिर है।’
एचयूएल के एमडी एवं सीईओ संजीव मेहता ने कहा, ‘वृहद परिप्रेक्ष्य में यह काफी महत्त्वपूर्ण है कि हम महंगाई को नियंत्रित करें। मात्रात्मक बिक्री के लिहाज से
खासतौर पर एफएमसीजी बाजार में नरमी बरकरार है। महंगाई उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय है।’
अप्रैल से जून तिमाही के दौरान एफएमसीजी बाजार की मात्रात्मक बिक्री में 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इसकी झलक गोदरेज कंज्यूमर और मैरिको जैसी कंपनियों के तिमाही नतीजों में मिलती है।
महंगाई के दबाव में कंपनियां अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने के लिए मजबूर हो रही हैं। केवल एचयूएल ने ही पहली तिमाही के दौरान अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में 12 फीसदी की मूल्य वृद्धि की। अन्य कंपनियां भी अपने मार्जिन को बचाने के लिए महंगाई संबंधी दबाव का बोझ ग्राहकों के कंधों पर सरकाने की कोशिश कर रही हैं।
देश की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी अल्ट्राटेक ने पिछले सप्ताह पहली तिमाही के वित्तीय नतीजे की घोषणा करते हुए मांग पर महंगाई के दबाव का उल्लेख किया था। कंपनी के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कंपनी की ताजा वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि लॉकडाउन के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान की जगह रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए नए व्यवधान ने ले लिया है। इससे कंपनियों की चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं क्योंकि ईंधन और खाद्य कीमतों में तेजी से वृद्धि हो रही है।
जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं समूह मुख्य वित्तीय अधिकारी शेषागिरि राव ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में उम्मीद जताई कि तीसरी तिमाही में सुधार दिख सकता है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2023 के लिए अपने नियोजित पूंजीगत खर्च में 5,000 करोड़ रुपये की कटौती की है।
