अनुसंधान कंपनी हुरुन इंडिया की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत की शीर्ष 500 कंपनियों का मूल्य 1.2 लाख करोड़ डॉलर बढ़कर कुल 3 लाख करोड़ डॉलर हो गया, जिसमें तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था का और शेयर बाजार की रिकॉर्ड ऊंचाई का अहम योगदान रहा। शेयर बाजार कोविड के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज वृद्घि की बढ़ती उम्मीदों के कारण कुलांचे भर रहे हैं।
हुरुन इंडिया ने आज जारी रिपोर्ट में कहा कि ये 500 कंपनियां भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार हैं, जिनका कुल मूल्य 3 लाख करोड़ डॉलर है। यह भारत के मौजूदा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से अधिक है। इन 500 कंपनियों की संयुक्त बिक्री 770 अरब डॉलर है और इनमें 69 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। यह आंकड़ा संयुक्त अरब अमीरात की कामकाजी आबादी से अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजी से बढ़ते उद्योगों के लिहाज से सॉफ्टवेयर सेवाओं और स्वास्थ्य सेवाओं के मूल्य में 40 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है।
बरगंडी प्राइवेट हुरुन इंडिया 500 ने भारत में सबसे मूल्यवान निजी कंपनियां सूचीबद्ध की हैं, उनके मूल्य के हिसाब से स्थान दिया है, सूचीबद्ध कंपनियों को बाजार पूंजीकरण के रूप में परिभाषित किया है और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों का मूल्यांकन किया है। इसमें 30 अक्टूबर 2021 तक के आंकड़े इस्तेमाल किए गए हैं। 500 कंपनियों की सूची के लिए न्यूनतम सीमा 5,600 करोड़ रुपये (75 करोड़ डॉलर) थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कंपनियों का मूल्य 68 फीसदी या 90 लाख करोड़ रुपये बढ़कर कुल 228 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसमें 46 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति का योगदान महज चार कंपनियों- रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, एचडीएफसी बैंक और इन्फोसिस का रहा। टाटा समूह की 14 कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ, जिनके मूल्य में 8.5 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। इन कंपनियों का 500 कंपनियों के कुल मूल्य में करीब 10 फीसदी हिस्सा रहा। टीसीएस 5.07 लाख कर्मचारियों के साथ सबसे बड़ी नियोक्ता और सबसे बड़ी करदाता रही। टीसीएस ने 11,200 करोड़ रुपये का कर दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 टीका विनिर्माता गैर-सूचीबद्ध कंपनी सीरम इंस्टीट््यूट ऑफ इंडिया का मूल्य 127 फीसदी बढ़कर 1.8 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह भारत की सबसे मूल्यवान गैर-सूचीबद्ध कंपनी है।
