बीएस बातचीत
एटोस के मुख्य कार्याधिकारी रोडोल्फ बेल्मर ने उस वक्त कंपनी की कमान संभाली, जब उन्हें पुरानी पड़ती प्रौद्योगिकी से जूझना पड़ रहा था या वे बदलाव के दौर से गुजर रही थीं। कार्यभार संभालने के बाद अपनी पहली भारत यात्रा के दौरान बेल्मर ने शिवानी शिंदे के साथ कई विषयों के बीच एटोस में बदलाव के दौर और इसमें भारत की भूमिका के संबंध में बात की। संपादित अंश :
आप अक्टूबर, 2021 में एटोस में शामिल हुए और जनवरी में गु्रप सीईओ बने। बदलाव का दौर कैस चल रहा है?
एटोस बुनियादी ढांचा कारोबार में दमदार कंपनी रही है। प्रौद्योगिकी संबंधी उद्भव और ग्राहकों की बदलती मांग के कारण एटोस ने दो क्षेत्रों – डिजिटल एवं एआई और क्लाउड में क्षमताओं में तेजी लाने और निर्माण करने का निर्णय लिया है। हमने अपने जिस क्षेत्र को और मजबूत किया है, वह है बीडीएस – बिग डेटा और साइबर सुरक्षा।
हम मानते हैं कि डिजिटल विकास का एक बहुत ही शक्तिशाली माध्यम है और जहां तक तकनीकी हार्डवेयर तथा सेवाओं की बात है, तो बहुत सारे मूल्य सृजित किए जाने हैं और हम कंपनी में बदलाव और कारोबार के नए क्षेत्रों में विस्तार में तेजी लाने की कोशिश कर रहे हैं।
इस सफर में भारत कितना खास है?
हमारे लिए भारत बहुत महत्त्वपूर्ण है, अब तो और भी ज्यादा। भारत में लगभग 40,000 सहकर्मी कंपनी के राजस्व में एक-तिहाई भाग का योगदान करते हैं। नए विश्व में भारत और भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण होगा, क्योंकि हम डिजिटल, एआई और ऐप्लीकेशन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इन सभी क्षेत्रों में भारत का मजबूत परिदृश्य है। हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (एचपीसी), जो एटोस की ओर से एक अनूठी पेशकश है, वह भी भारत में ध्यान केंद्रित करने का बड़ा क्षेत्र है। पिछले चार साल में हमने भारत में अपने एचपीसी परिचालनों का विस्तार किया है। एचपीसी कारोबार की एक दिलचस्प राह है, क्योंकि यह बहुत ही अनूठी है और अत्यधिक विभिन्नता वाला कारक है।
क्या आप यह भी चाहते हैं कि भारत से एटोस का राजस्व बढ़े?
हां। भले ही भारत अब भी अपेक्षाकृत छोटा कारोबार हो, लेकिन हम अपने लिए कुछ दिलचस्प अवसर देख रहे हैं, विशेष रूप से एचपीसी खंड में, क्योंकि देश में सुपर कंप्यूटर कार्यक्रम है। हमने एचपीसी के लिए अपनी निर्माण क्षमता भी निर्मित की है, जो मेक इन इंडिया पहल के अनुरूप है। हमने अपना एचपीसी 15-16 से अधिक शिक्षण संस्थानों को बेच चुके हैं। हम सार्वजनिक क्षेत्र में मौजूदगी बढ़ाना चाहते हैं।
रूस-यूक्रेन टकराव से परिचालन पर किस तरह असर पड़ा है?
हमें कोई बड़ा असर नजर नहीं आया है। यूक्रेन में हमारी मौजूदगी नहीं है और हमारे कोई संसाधन नहीं हैं। रूस में हमारे सहयोगी जरूर हैं – 2,000 से ज्यादा। रूस में हमारा एक एसएपी योग्यता केंद्र है, जहां 1,000 से अधिक लोग हैं।
आपके विचार से फर्म कब तक फिर से विकास करना शुरू कर देगी?
हम कुछेक महीने में अपना परिवर्तनकारी कार्यक्रम जारी करेंगे और अपने उद्देश्यों के बारे में वित्तीय बाजारों से संपर्क करेंगे, जिससे इस बात का आभास हो जाएगा कि हमें फिर से विकास कब देखने को मिलेगा।