पिछले कुछ वर्षों में निजी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों ने कॉरपोरेट लाभ का बड़ा हिस्सा हासिल किया है, जबकि छोटी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को कमजोर मुनाफे के साथ संघर्ष करना पड़ा है। इसकी वजह से मुनाफा संकेंद्रण में तेज वृद्घि को बढ़ावा मिला है।
भारत की 20 सबसे लाभकारी कंपनियों का वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में सूचीबद्घ क्षेत्र के सभी कॉरपोरेट लाभ में करीब 65 प्रतिशत योगदान रहा है, जबकि वित्त वर्ष 2021 में यह प्रतिशत 62.4 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2012 में 52 प्रतिशत था। हालांकि यह वित्त वर्ष 2020 में 72 प्रतिशत के रिकॉर्ड ऊंचे मुनाफा संकेंद्रण के मुकाबले काफी कम है। इसके लिए जिंस उत्पादकों और पिछले एक साल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुनाफे में आई भारी तेजी को जिम्मेदार माना जा रहा है।
20 सबसे ज्यादा लाभकारी सूचीबद्घ कंपनियों ने वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में 2.49 लाख करोड़ रुपये का संयुक्त शुद्घ लाभ दर्ज किया, जो वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही के करीब 1.4 लाख करोड़ रुपये से 78 प्रतिशत तक ज्यादा है। समान अवधि में, बिजनेस स्टैंडर्ड के सैम्पल में शामिल 815 कंपनियों का संयुक्त शुद्घ लाभ सालाना आधार पर 84 प्रतिशत तक बढ़कर 3.93 लाख करोड़ रुपये हो गया था जो वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही में 2.14 लाख करोड़ रुपये था।
रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में बेहद लाभकारी कंपनी थी और उसका मुनाफा लगभग 26,000 करोड़ रुपये (असाधारण लाभ और नुकसान के समायोजन के साथ) था। उसके बाद तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) 24,000 करोड़ रुपये और एसबीआई का मुनाफा 21,700 करोड़ रुपये रहा। कुल मिलाकर, वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में 10 सर्वाधिक मुनाफे वाली कंपनियों में सार्वजनिक क्षेत्र की तीन कंपनियां और 20 सर्वाधिक लाभकारी कंपनियों में सात पीएसयू शामिल थीं।
आरआईएल वित्त वर्ष 2014 से हर साल मुनाफे के चार्ट पर शीर्ष पर रही है। इससे पहले सरकार के स्वामित्व वाली ओएनजीसी वित्त वर्ष 2005 और वित्त वर्ष 2013 के बीच करीब एक दशक तक सर्वाधिक मुनाफे वाली कंपनी रही। उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2005 में 10 सर्वाधिक लाभकारी कंपनियों में से 6 सार्वजनिक क्षेत्र की थीं, और उस वर्ष शीर्ष-20 में 12 पीएसयू शामिल थे।
विश्लेषकों का कहना है कि चूंकि कंपनी की नेटवर्थ उसकी निवेश क्षमता की बड़ी निर्णायक है और संकेंद्रण में वृद्घि का मतलब है कि निजी क्षेत्र में बड़ी कंपनियां छोटी कंपनियों के मुकाबले लगातार तेजी से बढ़ सकती हैं। इससे भविष्य में ऊंचे लाभ संकेंद्रण में बढ़ावा देखा जा सकता है।
नेटवर्थ के संदर्भ में शीर्ष-20 कंपनियों का वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में सूचीबद्घ कंपनियों की नेटवर्थ में 46 प्रतिशत योगदान रहा, जो वित्त वर्ष 2021 के 46.7 प्रतिशत से थोड़ा कम है और वित्त वर्ष 2012 के करीब 42 प्रतिशत से ज्यादा है।
वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही के अंत तक भारतीय उद्योग जगत की संयुक्त नेटवर्थ 67.5 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले इन कंपनियों का योगदान करीब 31 लाख करोड़ रुपये था। आरआईएल करीब 7.42 लाख करोड़ रुपये की निवेश पूंजी के साथ वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही के अंत में इस सूची में शीर्ष पर थी।
