भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को आयकर अदा करना चाहिए या नहीं, इस विवाद के जारी रहने के बीच आयकर विभाग देश की इस सर्वोच्च क्रिकेट संस्था के 2008-09 के लिए आयकर रिटर्न का इंतजार कर रहा है।
विभाग पिछले वर्ष हुए पहले आईपीएल ट्वेंटी-20 टूर्नामेंट के आय-व्यय विवरण का भी इंतजार कर रहा है। बीसीसीआई के पास वर्ष 2008-09 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने का 30 सितंबर 09 तक का वक्त है।
आयकर रिटर्न दाखिल करने के बाद आकलन प्रक्रिया में कम से कम एक साल का वक्त लग सकता है। आयकर विभाग के एक अधिकारी ने कहा हम बीसीसीआई के रिटर्न को फास्ट ट्रैक (तीव्र कार्यवाही) के लिए चुनें तो भी आकलन में कम से कम दिसंबर 2010 तक का समय तो लग ही जाएगा।
हालांकि बीसीसीआई आयकर विभाग में एक परमार्थ (चैरिटेबल) संस्था के तौर पर पंजीकृत है, जिसे स्वास्थ्य, शिक्षा या सार्वजनिक सुविधा की चीजों के संचालन पर आयकर छूट है। 2008 में आयकर कानून में संशोधन के जरिए इस संबंध में सार्वजनिक सुविधा की जो परिभाषा दी गई है, उसमें आयकर अधिकारियों को यह अधिकार मिल गया कि वे बोर्ड को आय कर में रियायत देने से इनकार कर सकते है।
अधिकारी ने कहा कि क्रिकेट और खास कर आईपीएल क्रिकेट तो व्यवसाय हो गया है। गौरतलब हैकि कुछ समय पहले इंडियन प्रीमियर लीग को गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कारोबार और खेल का चतुर संयोजन बताया था। आयकर विभाग के अधिकारी ने कहा कि आईपीएल को अलग इकाई की तरह पंजीकृत नहीं किया गया है। आईपीएल टूर्नामेंट की आय बीसीसीआई के रिटर्न में दिखेगी।
इस साल आईपीएल का दूसरा संस्करण 18 अप्रैल से दक्षिण अफ्रीका में हो रहा है और सोनी एवं डब्ल्यूएसजी के साथ 10 साल का ब्राडकास्टिंग अधिकार 8 000 करोड़ रूपए में बेचा गया है। आईपीएल का खेल देश से बाहर हो रहा है इसलिए खिलाड़ियों को होने वाले भुगतान पर आयकर विभाग को स्रोत पर कर छूट (टीडीएस) से भी हाथ धोना पड़ सकता है।
