यूनिकॉर्न ने 2021 में एक अरब डॉलर का मूल्यांकन हासिल करने में धारणा के विपरीत पिछले वर्षों से थोड़ा अधिक समय लिया। स्टार्टअप के आंकड़े मुहैया कराने वाली ट्रैक्सन टेक्नोलॉजीज के आंकड़ों के मुताबिक नए रिकॉर्ड बनाने वाले वर्ष में कुल 40 से अधिक यूनिकॉर्न बनीं। यह आंकड़ा पिछले एक दशक में सबसे अधिक था। इससे पिछला ऊंचा स्तर वर्ष 2020 में 17 था। एक अरब डॉलर का मूल्यांकन हासिल करने यानी यूनिकॉर्न बनने में स्टार्टअप द्वारा लिए जाने वाले औसत समय की गणना वर्षों में की जाती है। हालांकि इसके कुछ अपवाद भी हैं। ट्रैक्सन के आंकड़ों का बिज़नेस स्टैंडर्ड ने विश्लेषण किया है, जिसके मुताबिक 2021 में स्टार्टअप को धन जुटाने की सीरीज ए से यूनिकॉर्न बनने तक औसतन 65 महीने लगे। आम तौर पर सीरीज ए का मतलब पहली बार धन जुटाने से है, जो एक ठीक से स्थापित स्टार्टअप लोगों या दोस्तों एवं परिवार से बाहर जुटाती है। यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल करने का समय बीते वर्षों से अलग नहीं है।
वर्ष 2021 से पहले के पांच वर्षों में स्टार्टअप को यूनिकॉर्न बनने में औसतन 60 महीने का समय लगा था। यह समय महामारी से पहले वर्ष 2019 में 79 महीने था। इस साल के अपवादों में ब्लू कॉलर जॉब पोर्टल ‘अपना’ जैसी कंपनियां भी शामिल हैं, जिसे यूनिकॉर्न बनने में महज 12 महीने लगे। एक अन्य अपवाद क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म कॉइनस्विच कुबेर रहा, जो केवल 8 महीनों में यूनिकॉर्न बन गया। ये दोनों स्टार्टअप कर्नाटक के बेंगलूरु में स्थित हैं।
यह राज्य भारत में स्टार्टअप के सबसे बड़े अड्डे के रूप में उभरा है। जिन 96 स्टार्टअप के लिए टै्रक्सन के आंकड़े उपलब्ध हैं, उनमें से 36 फीसदी हिस्सा बेंगलूरु की स्टार्टअप का है। इसके बाद महाराष्ट्र का स्थान है, जहां करीब 21 फीसदी यूनिकॉर्न मौजूद हैं। हरियाणा 18 फीसदी हिस्सेदारी के साथ तीसरे पायदान पर है।
हरियाणा में सभी 18 यूनिकॉर्न गुरुग्राम में स्थित हैं। अन्य राज्यों में भी यूनिकॉर्न शहरों में ही केंद्रित हैं। कर्नाटक में जिन 36 स्टार्टअप ने यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया है, वे बेंगलूरु में स्थित हैं। महाराष्ट्र में थोड़ा विविधीकरण है। हालांकि ज्यादातर यूनिकॉर्न वित्तीय राजधानी मुंबई में स्थित हैं। उनमें से करीब 13 मुंबई में हैं। पुणे में अन्य 7 यूनिकॉर्न हैं।
बहुत से उद्यम एक से अधिक जगहों पर मौजूद हैं। उनमें से एक विदेश में भी मौजूद है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इस विश्लेषण में भारतीय जगहों पर ही गौर किया है। पेटीएम और नायिका जैसी बहुत सी स्टार्टअप स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध हो चुकी हैं। वित्तीय सेवा समूह गोल्डमैन सैक्स के सितंबर 2021 के वैश्विक रणनीति पत्र में कहा गया है कि इससे निवशकों के लिए अन्य अनुकूल रुझान की शुरुआत हो सकती है। विश्लेषकों की एक रिपोर्ट के मुताबिक इंटरनेट तंत्र, निजी पूंजी की उपलब्धता और अनुकूल नियामकीय माहौल की बदौलत यूनिकॉर्न में बढ़ोतरी हुई है। इस रिपोर्ट के लेखकों में सुनील कौल, टिमोथी मोइ, किंगर लाऊ, एल्विन सो, पीटर लाऊ और जॉन वॉन शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अगर निवेशक वृद्धि पर ज्यादा दांव नहीं लगाएं तो उन्हें आकर्षक प्रतिफल के मौके मिल सकते हैं। इसका सबूत पिछले दशक में चीन की नई अर्थव्यवस्था के शेयरों का अत्यधिक शानदार प्रदर्शन है।’
