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  कंपनियां  ग्रामीण बाजारों में बिक्री पर पड़ रहा असर
कंपनियां

ग्रामीण बाजारों में बिक्री पर पड़ रहा असर

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —January 23, 2022 11:24 PM IST0
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हिंदुस्तान यूनिलीवर के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने कहा कि स्वास्थ्य, साफ-सफाई जैसे क्षेत्र अगले पांच साल में कंपनी विकास के लिए अहम होंगे। विशाल छाबडिय़ा और शर्लिन डिसूजा से बातचीत में मेहता ने कहा कि दूसरी छमाही में जिंसों के दाम कम होने से बिक्री में वृद्घि हो सकती है। पेश है बातचीत के संपादित अंश:
ग्रामीण विकास ऋणात्मक है, जिससे संकेत मिलता है कि लगातार दूसरी तिमाही में मांग घटी है। मांग पर दबाव की प्रमुख वजह क्या है?
ग्रामीण इलाकों में बिक्री मूल्य वृद्घि अभी भी सकारात्मक है लेकिन इसमें लगातार गिरावट आ रही है। हालांकि बिक्री में जरूर गिरावट आई है। इसकी कई वजहें हैं। पहला यह कि अर्थव्यवस्था में अभी सुधार हो रहा है। चालू वित्त वर्ष के अंत तक अर्थव्यवस्था का आकार कमोबेश दो साल पहले से जितना हो सकता है। 2,000 डॉलर प्रति व्यक्ति आय वाले देश में आबादी के एक बड़े वर्ग में खपत मांग काफी कम है। वृहद आर्थिक परिदृश्य के हिसाब से देखें तो अर्थव्यवस्था में निजी खपत का हिस्सा घटा है। दूसरा कुछ उत्पाों में मुद्रास्फीति में अप्रत्याशित वृद्घि हुई है। स्किन-क्लीजिंग या नहाने के साबुन में पाम तेल का इस्तेमाल होता है, जो काफी महंगा हो गया है। इसी तरह चाय के दाम भी काफी बढ़े हैं। ग्रामीण इलाकों में प्रति व्यक्ति एफएमसीजी उत्पादों की खपत शहरी इलाकों की तुलना में एक-तिहाई है और आय पर दबाव होने या उच्च महंगाई होने पर ग्राहक उत्पादों की खपत घटा देते हैं। इससे बिक्री वृद्घि पर असर पड़ता है।

बिक्री में कब तक तेजी आने की उम्मीद है?
सामान्यतौर पर हमारे कारोबार में बिक्री वृद्घि के आधार पर मुनाफे में इजाफा होता है। लेकिन जब मुद्रास्फीति काफी ज्यादा हो तो स्थिति बदल जाती है। हम दो बड़ी चीजों पर ध्यान दे रहे हैं- पहला कि हम बिक्री और वैल्यू के हिसाब से बाजार में अपनी हिस्सेदारी को कैसे बचाएं और दूसरा कारोबारी मॉडल की रक्षा कैसे की जाए। कंपनी के प्रदर्शन में इन दो चीजों का अहम योगदान होता है। मेरा मानना है कि जिंसों के दाम में वृद्घि मुख्य रूप से मांग पक्ष से ज्यादा आपूर्ति पक्ष से जुड़ी है।
दूसरा कच्चे तेल जैसे क्षेत्रों में हाल के वर्षों में कम पूंजी निवेश हुआ है जिसकी वजह से आपूर्ति पर दबाव है। कुछ मामलों में महामारी की वजह से आपूर्ति शृंखला पर भी दबाव है। मुद्रास्फीति दुनिया भर में है और यह केवल भारत तक ही सीमति नहीं है। लेकिन मेरा मानना है कि कैलेंडर वर्ष की दूसरी छमाही में जिंसों के दाम नरम होने लगेंगे। जिंसों के दाम घटने पर हम उत्पादों के दाम भी उस हिसाब से कम करेंगे या वजन की मात्रा बढ़ाएंगे। व्यापक तौर पर कहें तो एफएमसीजी उत्पादों की बिक्री में तब ज्यादा तेजी आती है जब लोगों के हाथों में अतिरिक्त पैसा होता है यानी कि समावेशी विकास और मुद्रास्फीति कम रहने पर उत्पादों की मांग में तेजी आएगी।

कीमतों में और बढ़ोतरी की उम्मीद किस हद तक है तथा दक्षता में सुधार के लिहाज से लागत पक्ष को किस हद तक और कम किया जा सकता है ताकि मार्जिन मौजूदा स्तर पर बना रहे?
भविष्य की कुछ तिमाहियों में जिंसों की कीमतों की भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है। अलबत्ता मार्च तिमाही के लिहाज से हमारा नजरिया अच्छा है और हम देख रहे हैं कि दिसंबर तिमाही की तुलना में लागत और बढ़ रही है, लेकिन अभी यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि जून तिमाही में क्या होगा। कोविड जैसे संकट के समय में हमने लागत बचत पर और भी ज्यादा ध्यान दिया है। अब हम लागत बचत में अपने कुल कारोबार के करीब नौ से 10 प्रतिशत भाग को लक्ष्य बना रहे हैं।
अगले पांच वर्षों में एचयूएल के लिए कौन-सी श्रेणियां वृद्धि की प्रमुख संचालक होंगी?
मेरा मानना है कि जिन श्रेणियों में हम काम करते हैं, उनमें से कोई भी श्रेणी परिपक्वता की स्थिति में नहीं पहुंची है। यह केवल श्रेणी में पैठ बढ़ाने की बात नहीं है, क्योंकि आप खपत बढ़ाकर, अधिक ऑर्डर का लाभ देते हुए उपभोक्ताओं को बढ़ाने या पोर्टफोलियो का प्रीमियम करते हुए भी विकास कर सकते हैं। उदाहरण के लिए लॉन्ड्री श्रेणी में विकास के लिहाज से एक बड़ा क्षेत्र लोगों को पाउडर के लिए बाजार के बड़े हिस्से से मध्य-स्तरीय और प्रीमियम छोर तक ले जा रहा है और इसके अलावा फिर मध्य और प्रीमियम स्तर वाले पाउडर उपभोक्ताओं को लक्विड की ओर बढऩा। इसलिए लॉन्ड्री में भी, जो कि एक सार्वभौमिक रूप से पैठ वाली श्रेणी है, वहां बढऩे के काफी अवसर हैं।
विकास के अन्य बड़े क्षेत्र हैं स्वास्थ्य, सौंदर्य और स्वच्छता क्षेत्र। ये पूरी तरह से बड़े क्षेत्र हैं। उदाहरण के लिए हॉर्लिक्स को ही लीजिए, यह एक ऐसी श्रेणी है, जहां प्रवेश 20 के दशक के मध्य में ही हुआ है। हम सभी ने वैश्विक महामारी के दौरान यह बात अनुभव की है कि हमारे सामान्य स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता उत्पाद कितने महत्त्वपूर्ण होते हैं। और फिर निश्चित रूप से सौंदर्य, यह बड़े स्तर पर अवसरों का क्षेत्र है।

तीसरी तिमाही में विवेकाधीन उत्पादों ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन तीसरी लहर और कुछ क्षेत्रों में कुछ प्रतिबंधों की वजह से क्या अगले वर्ष की चौथी और पहली तिमाही में विवेकाधीन बिक्री में मंदी हो सकती है?
हमने इसकी रूपरेखा तैयार की है और पाया है कि विवेकाधीन खर्च और आवागमन के बीच स्पष्ट सहसंबंध होता है। हालांकि इस लहर में प्रतिबंध उतने गंभीर नहीं हैं, जितने पहली और दूसरी लहर में थे। तो पिछली दो लहरों के दौरान जो प्रभाव हुआ, उसकी तुलना में यह प्रभाव बहुत कम रहेगा। हम उम्मीद कर रहे हैं कि फरवरी के मध्य तक हम आवागमन में इजाफा देखना शुरू कर देंगे और फिर प्रतिकूल असर भी मिट जाएगा।

ग्रामीण बाजारबिक्रीसंजीव मेहतास्वास्थ्यहिंदुस्तान यूनिलीवर
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