इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनैंशियल सर्विसेज (आईएलऐंडएफएस) के बोर्ड ने आज कहा कि समूह चालू वित्त वर्ष के अंत तक 50,500 करोड़ रुपये के ऋण के समाधान का लक्ष्य रखा है। साथ ही बोर्ड ने 57 फीसदी से अधिक के ऋण समाधान के लिए अपने आकलन में भी संशोधन किया है।
हालांकि संकटग्रस्त आईएलऐंडएफएस समूह के लेनदारों को अपनी उधारी पर काफी नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि गैर-कार्यकारी चेयरमैन उदय कोटक के नेतृत्व में बोर्ड के आकलन के अनुसार समाधान की रकम 57,000 करोड़ रुपये से कुछ अधिक होगी।
आईएलऐंडएफएस के प्रबंध निदेशक सीएस राजन ने कहा, ‘इस अवधि के अंत तक ऋण का जो हिस्सा बच जाएगा उसे लेनदारों को नुकसान उठाना पड़ेगा। यह कोई अचरज की बात नहीं है क्योंकि ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया प्रक्रिया के मुकाबले यह अभी भी बेहतर है।’ समूह का कुल ऋण बोझ 99,000 करोड़ रुपये है और 57,000 करोड़ रुपये के लिए समाधान की प्रक्रिया मार्च 2021 तक पूरी हो जाएगी।
समूह के ऋण समाधान की रकम में इजाफा किया गया है जबकि समय-सीमा में देरी दिख रही है। अक्टूबर में दी गई जानकारी में बोर्ड ने कहा था कि उसे उम्मीद है कि समूह के आधे ऋण का समाधान, वसूली अथवा पुनर्गठन हो जाएगा और उसके एक उल्लेखनीय हिस्से का समाधान मार्च 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है। बोर्ड ने कहा है कि ताजा समय-सीमा नियामकीय मंजूरियों एवं अन्य मुकदमेबाजी पर निर्भर करेगी। जून तक करीब 17,640 करोड़ रुपये के ऋण अथवा कुल ऋण के करीब 18 फीसदी हिस्से का समाधान हो चुका था और इकाइयों की संख्या 347 से घटकर 276 रह गई। इस समाधान प्रक्रिया को विभिन्न उपायों के जरिये पूरा किया गया जिसमें हिस्सेदारी की बिक्री, ऋण पुनर्गठन, उपक्रमों को बंद करना और परियोजनाओं को रद्द करना शामिल हैं। समूह अपनी सड़क परियोजनाओं के लिए एक इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट) भी स्थापित करने की योजना बना रहा है। समूह दिसंबर तक 13,000 करोड़ रुपये के सकल मूल्य लक्ष्य के साथ इनविट शुरू कर सकता है।
बोर्ड की योजना के अनुसार, सितंबर के अंत तक इकाई की बिक्री, ऋण पुनर्गठन एवं अन्य उपायों के जरिये 8,800 करोड़ रुपये के अतिरिक्त ऋण का समाधान हो जाएगा। दिसंबर तिमाही में 18,000 करोड़ रुपये के अतिक्त समाधान हो जाने पर मार्च तिमाही के लिए 6,150 करोड़ रुपये के ऋण बच जाएंगे। इसे दूसरे चरण के इनविट और रियल एस्टेट परिसंपत्तियों के मौद्रिकरण से रफ्तार मिलेगी।
बयान में कहा गया है, ‘6,650 करोड़ रुपये के अतिरिक्त ऋण के लिए समाधान का प्रयास वित्त वर्ष 2021 के बाद भी जारी रहेगा।’ इस प्रकार कुल मिलाकर 57,240 करोड़ रुपये के ऋण का समाधान हो जाएगा। नए बोर्ड को समूह की जिन कंपनियों में रकम की वसूली में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है उनमें आईएलऐंडएफएस फाइनैंशियल सर्विसेज (आईएफआईएन) शामिल है।
कोटक ने कहा, ‘कंपनी ने जिन बड़े समूहों को ऋण दे रखा है वे खुद भारी नकदी संकट से जूझ रहे हैं। ऐसे में हम उनसे कोई रकम नहीं वसूल पाए। इनमें से कई समूह दिवालिया प्रक्रिया से जूझ रहे हैं। आईएफआईएन का ऐसे कई बड़े समूहों पर काफी बकाया है। नए बोर्ड को यह समझ में नहीं आ रहा है कि उन्हें ऋण क्यों दिया गया था।’ आईएफआईएन आईएलऐंडएफएस की गैर-बैंकिंग वित्तीय इकाई है।
