तकनीकी क्षेत्र की अमेरिकी कंपनी आईबीएम भारत में शोध एवं विकास (आरऐंडी) कार्यों पर अधिक जोर देने की योजना तैयार कर रही है। कंपनी देश के छोटे शहरों में नए केंद्र भी स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है। कंपनी का कहना है कि दुनिया में तकनीकी क्षेत्र में प्रतिभा की दिक्क्त अगले एक दशक तक जारी रह सकती है और वह इस बात से पूरी तरह वाकिफ है।
मीडिया से खास बातचीत में आईबीएम के चेयरमैन एवं मुख्य कार्याधिकारी अरविंद कृष्णा ने कहा, ‘हमारी कंपनी तेजी से विकास कर रही है। इस समय भारत में बेंगलूरु, हैदराबाद, पुणे और दिल्ली में हमारे चार केंद्र हैं। अब हम इनकी संख्या बढ़ाना चाहते हैं और कोच्चि तथा अहमदाबाद में भी हाल में ही नए केंद्र खोलने की घोषणा की गई है। हम प्रत्येक वर्ष शोध विकास केंद्रों में हजारों लोगों की नियुक्ति करेंगे और परामर्श (कंसल्टेंसी) कारोबार में भी बड़ी तादाद में लोगों की भर्तियां की जाएंगी।’
कृष्णा भारत आए हुए थे और दिल्ली में उन्होंने रेल मंत्री, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव, आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर तथा वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण से मुलाकात की थी।
कृष्णा ने कहा कि उन्होंने मंत्रियों के साथ बैठक में विभिन्न विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘भारत में लोगों को नए कौशल सिखाने एवं कार्य बल तैयार करने समेत विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। भारत को डिजिटल क्रांति के लिए तैयार करने के लिए इस ओर ध्यान देना जरूरी है। यह ऐसा क्षेत्र है, जिसके लिए हम काफी उत्साहित हैं और हमारे निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) का 100 प्रतिशत हिस्सा कार्य बल के विकास पर खर्च होता है। हमनें गतिशक्ति पर भी चर्चा की ताकि सरकारी व्यवस्था में डिजिटलीकरण को तेजी से बढ़ावा दिया जा सके। इसक मकसद देश के नागरिकों तक तेजी से विभिन्न सेवाएं पहुंचाना है।’
उन्होंने कहा कि वह देश के ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड के जरिये संपर्क अधिक से अधिक बढ़ाना चाहते हैं। कृष्णा ने ऐसी परियोजनाओं में आईबीएम की भूमिका पर भी विभिन्न मंत्रियों के साथ चर्चा की। उन्होंने कहा कि आईबीएम जैविक शोध एवं विकास पर करीब 7 अरब डॉलर खर्च कर रही है। उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी लगभग 70 प्रतिशत कारोबार सॉफ्टवेयर एवं परामर्श खंड में करती है।
भारत के बारे में कृष्णा ने कहा कि एशिया क्षेत्र में हालिया तिमाही के नतीजे शानदार रहे और इसमें भारत की बड़ी हिस्सेदारी रही। उन्होंने कहा कि आईबीएम तेजी से बदलती भू-राजनीतिक परिस्थिति में भी भारत के लिए काफी संभावनाएं देख रही है। कृष्णा ने कहा कि मौजूदा हालात में भारत पिछले दो दशकों में दर्ज प्रगति से भी अधिक ऊंची छलांग लगाने के लिए तैयार दिख रहा है।
