दूसरे एवं तीसरे दर्जे के कॉलेजों में पढऩे वाले छात्रों को डेटा साइंस एवं क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी आधुनिक तकनीक में दक्ष बनाने के लिए शुरू हुई पहल के नतीजे उत्साह बढ़ाने वाले हैं। आईबीएम और नैसकॉम फाउंडेशन की इस साझा कोशिश का हिस्सा रहे करीब 5,000 में से 2,000 से अधिक छात्रों को बढिय़ा कंपनियों में नौकरियां भी मिल गई हैं। कर्नाटक, तेलंगाना और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्रों के गैर-तकनीकी शिक्षण संस्थानों में पढऩे वाले करीब 5,000 छात्र आईबीएम एवं नैसकॉम फाउंडेशन की इस पहल का हिस्सा बने थे। आईबीएम द्वारा संचालित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए 23 कॉलेजों में पढऩे वाले छात्र चुने गए थे। उन्हें डेटा साइंस एवं क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी नई तकनीकों में प्रशिक्षित किया जाना था। पहले साल में कैम्पस स्तर पर 250 घंटे लंबा प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया। इन छात्रों को भागीदार फर्मों टीएमआई और आईप्राइम्ड ने प्रशिक्षित किया।
आईबीएम इंडिया के कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व प्रमुख मनोज बालचंद्रन कहते हैं, ‘स्किल इंडिया मिशन की तर्ज पर आईबीएम उद्योग जगत के साझेदारों, शैक्षणिक जगत और सरकार के सामूहिक सहयोग से युवाओं में तकनीकी रूप से कुशल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।’ आईबीएम और नैसकॉम फाउंडेशन ने प्रशिक्षण देने वाले साझेदारों के साथ मिलकर इन प्रशिक्षित युवाओं के लिए देश भर में अलग-अलग जगहों पर भर्ती अभियान भी चलाए। अभी तक इनमें से 2,000 से अधिक छात्रों को कोविड संबंधी चुनौतियों के बावजूद अग्रणी कंपनियों में नौकरी मिल गई है।
नैसकॉम फाउंडेशन की मुख्य कार्याधिकारी निधि भसीन ने कहा, ‘भविष्य अब मिली-जुली लर्निंग का ही है। आमने-सामने के साथ ऑनलाइन माध्यम या तैयार पाठ्यक्रम एवं कौशल आधारित पढ़ाई या फिर इन सबका शानदार मेल। कोविड महामारी की चुनौतियों के बावजूद नैसकॉम फाउंडेशन इस दिशा में आईबीएम के साथ काम करने पर गर्व महसूस करता है।’
