भारतीय दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) ने दबाव वाली कंपनियों के लिए बाजार से जुड़े बेहतर समाधान मुहैया कराने के लिए अपने नियमों में संशोधन किया है।
इन संशोधनों के बाद अब दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत आई किसी इकाई की एक या अधिक संपत्तियों की बिक्री की अनुमति मिल सकेगी। इसके अलावा ऋणदाताओं की समिति (COC) अब इस बात की जांच कर सकती है कि परिसमापन अवधि के दौरान कॉरपोरेट देनदार के साथ किसी समझौते या निपटान की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं या नहीं।
आईबीबीआई ने ‘समाधान की प्रक्रिया में कीमत को अधिकतम करने के लिए’ नियमों में संशोधन किया है और ये 16 सितंबर से लागू हुए हैं। इस साल जून के अंत तक कम से कम 1,703 कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रियाएं (सीआईआरपी) परिसमापन में पूरी हो चुकी हैं। ऐसे मामलों में जहां पूरे व्यवसाय के लिए कोई समाधान योजना नहीं है, नियामक ने कॉरपोरेट देनदार की एक या अधिक संपत्तियों को बेचने की संभावनाएं तलाशने की अनुमति दी है।
आईबीसी दबाव वाली संपत्तियों के बाजार से जुड़े और समयबद्ध समाधान का प्रावधान करती है। सिरिल अमरचंद मंगलदास के भागीदार गौरव गुप्ते ने कहा कि संशोधन से दिवाला समाधान के लिए बेहतर बाजार आधारित समाधान को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा, ‘संशोधन यह सुनिश्चित करेगा कि दिवाला कंपनी और उसकी संपत्ति के बारे में बेहतर जानकारी संभावित समाधान आवेदकों सहित बाजार को समय पर उपलब्ध हो।’
उन्होंने कहा कि समाधान पेशेवर को संबंधित कंपनी के ज्ञात (बहीखातों के आधार पर) लेनदारों से सक्रिय रूप से दावों की तलाश करनी होगी, ताकि कर्ज के बारे में एक स्पष्ट तस्वीर उपलब्ध हो सके।
