हिंदुस्तान यूनिलीवर ने अपने संयंत्रों में कोयले का उपयोग खत्म कर दिया है। कंपनी ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि उसने अपने कारखानों में कोयले की जगह पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को अपनाया है।
देश की सबसे बड़ी उपभोक्ता वस्तु कंपनी ने बायोमास आपूर्तिकर्ताओं और स्थानीय किसानों के साथ करार किया है ताकि पर्यावरण के अनुकूल ईंधन की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। कंपनी ने कोयले से चलने वाले अपने बॉयलर को अक्षय ऊर्जा से चलाने के लिए उपयुक्त बदलाव किया है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि कोयला को अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बदलने से कंपनी को लागत में बचत भी हुई है। एचयूएल ने एक उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि उसके एक होम केयर संयंत्र में कोयले के उपयोग को खत्म करने का समाधान मिला जिससे ईंधन लागत में 3.5 करोड़ रुपये की बचत हुई। साथ ही इससे ईंधन कुशलता बढऩे के अलावा करीब 40 लाख किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम करने में मदद मिली।
एचयूएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने कहा, ‘यह हमारे सफर की एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। इससे 2030 तक हमारे परिचालन में शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता जाहिर होती है।’ उन्होंने कहा, ‘एक कंपनी के तौर पर हमारा जोर हमेशा लोगों और इस धरती के लिए सकारात्मकता पर रहा है। हमारा मानना है कि जिम्मेदार कंपनी बनना ही एकमात्र विकल्प है।’
शून्य कार्बन उत्सर्जन की दिशा में सफर की शुरुआत करीब पांच साल पहले शुरू हुआ था जब यूनिलीवर ने 2020 तक अपने विनिर्माण संयंत्रों में कोयले के उपयोग को खत्म करने की प्रतिबद्धता जताई थी। कंपनी ने अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप इस लक्ष्य को हासिल किया और उसने अप्रैल 2020 में ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन कंज्यूमर हेल्थकेयर के साथ सौदे के तहत हासिल तीन पोषण फैक्टरियों में भी इस बदलाव को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। एचयूएल ने कहा कि हाल में अधिग्रहीत पोषण विनिर्माण इकाइयों में कोयले से चलने वाले बॉयलर थे जिसे जहां कोयले के बदले बायोमास/ बायोडीजल का उपयोग किया जा रहा है।
एचयूएल कार्यकारी निदेशक (आपूर्ति शृंखला) विलियम उइजेन ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि हमने जीएसके से अधिग्रहण करने के बाद अपनी नई फैक्टरियों में कोयले की जगह अक्षय ऊर्जा का उपयोग करने के लिए तेजी से कदम बढ़ाया। इस बदलाव के प्रभाव से न केवल पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा क्षेत्र में एचयूएल की पैठ बढ़ेगी बल्कि फैक्टरियों के आसपास के वातावरण में वायु की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। साथ ही बायोमास की खरीदारी के जरिये किसानों की आय भी बढ़ेगी।’
एचयूएल की विनिर्माण इकाइयों का परिचालन 2019 से ही 100 फीसदी अक्षय ऊर्जा ग्रिड के जरिये हो रहा है। इसके लिए संयंत्र परिसर में सौर बिजली संयंत्र लगाए गए हैं और बाहर से भी सौर एवं पवन ऊर्जा की आपूर्ति होती है। इसके अलावा कंपनी पनबिजली आधारित गिड से बिजली भी खरीद रही है।
