एमएसडी इंडिया ने कोरोनावायरस वैश्विक महामारी के दौरान मोलनुपिराविर के लिए कई समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। कंपनी का कहना है कि आगे उसकी नजर भारतीय बाजार में टीका एवं कैंसर के उपचार की दवाओं के कारोबार पर होगी। एमएसडी इंडिया के प्रबंध निदेशक रेहान ए खान ने सोहिनी दास से बातचीत में विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने एचपीवी टीकाकरण को राष्ट्रीय प्रतिरक्षा मिशन से जोड़ने की संभावना पर भी खुलकर बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश:
वैश्विक महामारी के पिछले दो साल के दौरान कारोबार कैसा रहा?
साल 2021 भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए एक उल्लेखनीय वर्ष रहा। भारत में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज करने वाली शीर्ष 5 बहुराष्ट्रीय कंपनियों में शामिल होने के नाते हमने मोलनुपिराविर के लिए आठ भारतीय जेनेनिक विनिर्माताओं के साथ गैर-विशेष स्वैच्छिक लाइसेंस समझौते की सफलतापूर्वक घोषणा की थी। साथ ही हमने सफलतापूर्वक एचपीवी टीका को लॉन्च किया था। इसके अलावा हमने पेटेंट पूल के जरिये चार-पांच अन्य कंपनियों के साथ लाइसेंस समझौता किया था। हमने कहीं उन्नत गार्डासिल-9 एचपीवी टीका को वायरस के व्यावक कवरेज के साथ सफलतापूर्वक लॉन्च किया। साल 2021 के दौरान हमने कारोबार में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की और पिछले पांच साल के दौरान अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। हम कैंसर की उपचार वाली अपनी दवाओं की रोगियों तक पहुंच बढ़ाने और उसे किफायत बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
भारतीय बाजार में आप किन खास क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रहे हैं?
हम 130 वर्षों से महत्त्वपूर्ण दवाओं और टीका के विकास के जरिये मानव जीवन की रक्षा करने के लिए आधुनिक विज्ञान के साथ काम कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य देश में चिकित्सा जरूरतों को पूरा करने के लिए हमारे वैश्विक पोर्टफोलियो से अपनी श्रेणी की बेहतरीन दवाओं को यहां लाना है। हमारे देश में बीमारी के क्षेत्र में व्यापक असमानताएं हैं और ऐसे में एमएसडी को अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए व्यावक अवसर दिखता है। हमारी सरकार ने स्वास्थ्य सेवा पर व्यय में बढ़ोतरी की है और 2025 तक उसे जीडीपी के 5 फीसदी तक ले जाने की योजना है। इससे बाजार में काफी अवसर पैदा होंगे।
क्या भारत में टीका और कैंसर के उपचार की दवाओं पर एमएसडी मुख्य तौर पर ध्यान केंद्रित करेगी?
जहां तक कैंसर के उपचार वाली दवाओं का सवाल है तो हम अधिक से अधिक मंजूरियों के साथ रोगियों तक अपनी पहुंच बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। जहां तक टीका का सवाल है तो हम एचपीवी और न्यूमोकोकल पोर्टफोलियो पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
भारत में एचपीवी टीके की स्थिति कैसी है?
हमने उसमें दो अंकों की वृद्धि दर्ज की है और हम एचपीवी एवं न्यूमोकोकल टीकों पर लगातार ध्यान केंद्रित करते रहेंगे। केंद्र सरकार भी एचपीवी को राष्ट्रीय प्रतिरक्षा कार्यक्रम में शामिल करने पर विचार कर रही है।