तीन साल पहले जब सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (पीएसयू) तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) में 36,000 करोड़ रुपये में सरकार की हिस्सेदारी खरीदी थी उसके बाद से दोनों पीएसयू आपसी तालमेल को बढ़ा रहे हैं।
हालांकि, विवादित मुद्दें दोनों ही पीएसयू के साथ बने हुए हैं जो कि केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत आते हैं।
अधिकारियों के मुताबिक ओएनजीसी का प्रबंधन नाखुश है क्योंकि एचपीसीएल में सरकारी हिस्सेदारी खरीदने के बाद इस तेल अन्वेषण की दिग्गज कंपनी की नकदी के मोर्चे पर स्थिति कड़ी हो गई है। एचपीसीएल में एक नियंत्रक हिस्सेदारी रखने के बावजूद उसके पास कंपनी का कोई प्रबंधकीय नियंत्रण नहीं है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘केंद्र सार्वजनिक उद्यम चयन बोर्ड (पीईएसबी) के जरिये लगातार एचपीसीएल में वरिष्ठ पदों पर नियुक्ति की सिफारिशें कर रहा है जिसमें ओएनजीसी से कोई परामर्श नहीं किया जाता है।’
ओएनजीसी समूह अपने समूह की सभी कंपनियों के लिए इसी ढांचे का पालन करता है।
यह मुद्दा एचपीसीएल और ओएनजीसी के बीच विवाद की वजह रहा है लेकिन इसे सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटा लिया गया। इस मामले के जानकार एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘एचपीसीएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक एम के सुराणा ओएनजीसी के तत्कालीन चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शशि शंकर से वरिष्ठ थे। इसलिए अन्वेषण कंपनी अपने चेयरमैन को एचपीसीएल बोर्ड का प्रमुख बनाने की मांग पर नरम पड़ गई।’
अधिकारी ने कहा, ‘लेकिन सरकार ने दोबारा से एचपीसीएल के सीएमडी पद के लिए आवेदन मांगे हैं। यह पद सुराणा के सेवानिवृत्त होने के बाद अगले वर्ष अप्रैल में खाली हो जाएगा।’
पेट्रोयिम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपने स्तर से कहा कि यह तय किया गया है कि भले ही ओएनजीसी ने नियंत्रक हिस्सेदारी खरीद ली है उसके बावजूद एचपीसीएल स्वतंत्र पीएसयू के तौर पर परिचालन करती रहेगी। उन्होंने कहा, ‘उस स्थिति में बदलाव लाने का कोई इरादा नहीं है और ओएनजीसी निदेशकों की नियुक्ति करने तथा पदों को परिभाषित करने जैसे कोई निर्णय नहीं कर सकती है।’ सुराणा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हमारे पास दोनों पक्षों में कौशल और मजबूती है। एचीपीसीएल अपने विपणन नेटवर्क का इस्तेमाल कर ओएनजीसी द्वारा उत्पादित कुछ पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री कर रही है। इन उत्पादों में हाई-फ्लैश हाई-स्पीड डीजल (एचएफएचएसडी), नाफ्था और लो-सल्फर हेवी स्टॉक (एलएसएचएस) शामिल हैं। इन उत्पादों को स्वतंत्र रूप से खरीदा जाता है और एचपीसीएल के विपणन नेटवर्क के जरिये उनकी खुदरा बिक्री की जाती है।’
