जापान की दिग्गज कार निर्माता कंपनी होंडा मोटर्स भारत को कार उत्पादन के मामले में अपना केंद्र बनाने से चाहे हिचक रही हो, लेकिन कलपुर्जों के लिए वह इसी को अपना अड्डा बना रही है। राजस्थान में कंपनी का नया संयंत्र विदेशों को आपूर्ति के लिए कार के मुख्य पुर्जे तैयार करेगा।
जापानी कंपनी की भारतीय सहयोगी होंडा सिएल कार्स इंडिया दूसरे एशियाई देशों के लिए पुर्जों का निर्यात करेगी। इनमें इंजन के महत्वपूर्ण पुर्जे शामिल होंगे। कंपनी इस संयंत्र पर तकरीबन 1,000 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। राजस्थान के टापूकरा औद्योगिक क्षेत्र में बन रहा यह संयंत्र अगले साल के अंत तक पूरा हो जाएगा। इसमें सालाना लगभग 60,000 कारों का निर्माण किया जाएगा।
आसियान को निर्यात
होंडा सिएल के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी मसाहिरो ताकेदगावा ने बताया, ‘हम होंडा सिएल को एशिया भर में आपूर्ति के जापानी कंपनी के नेटवर्क में शामिल करना चाहते हैं। हमें यकीन है कि क्रैंकशाफ्ट जैसे अहम पुर्जों के निर्यात में राजस्थान से हमें काफी मदद मिलेगी। यहां से आसियान देशों को निर्यात किया जाएगा।’
कंपनी का इरादा भारत और थाईलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौते का पूरा फायदा उठाने का है। थाईलैंड का दक्षिण पूर्व एशिया के कमोबेश सभी देशों मसलन फिलीपींस, सिंगापुर, वियतनाम, मलेशिया और इंडोनेशिया के साथ मुक्त व्यापार समझौते हैं। इस समझौते के मुताबिक दोनों देशों के बीच व्यापार में इंजन के आठ–दस पुर्जों पर विशेष शुल्क लाभ मिलते हैं। वाहन निर्माताओं के मुताबिक यदि दोनों देशों की सरकारें अनुकूल रवैया दिखाती हैं, तो विशेष शुल्क की सूची में पुर्जों की संख्या बढ़ सकती है।
एफटीए का फायदा
ताकेदगावा ने कहा, ‘एफटीए का पूरा फायदा उठाने के लिए हम तैयार हैं क्योंकि इससे अलग–अलग देशों में हमारी सहयोगी कंपनियां एक साथ मिलकर काम कर सकती हैं। इसके बाद हम राजस्थान के अपने संयंत्र से इंजन के पुर्जे बनाना शुरू कर सकते हैं।’
होंडा मोटर्स, जापान कई एशियाई देशों में ऐसे संयंत्र पहले ही लगा चुकी है। मलेशिया में होंडा की कारों के लिए बंपर बनाए जाते हैं। इसी तरह फिलीपींस में ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन इकाई, इंडोनेशिया में मैनुअल ट्रांसमिशन इकाई और थाईलैंड में इंजन के पुर्जे निर्मित होते हैं।
मंदी से जंग
दरअसल होंडा की योजना सेल्स के मामले में किसी एक ही देश पर निर्भरता खत्म करना है। इसके अलावा वह उभरते हुए किसी वाहन बाजार में अचानक आई मंदी का असर भी खत्म करने की कोशिश कर रही है। अमेरिका और यूरोप के कुछ बाजारों में मंदी की वजह से पहले ही मांग में गिरावट देखी जा रही है।
भारत के बारे में होंडा की पहले से ही भारी भरकम योजनाएं हैं। कंपनी यहां के माहौल के मुताबिक एक कॉम्पैक्ट कार भी बना रही है।?प्रीमियम श्रेणी की यह कार मारुति की स्विफ्ट के आसपास कीमत वाली होगी। कंपनी को खुद भी इस कार का बेसब्री से इंतजार है और वर्ष 2009 के अंत या 2010 की शुरुआत में वह इसे पेश कर देगी।