टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस नुकसान वाली असूचीबद्ध सहायक टाटा टेलीसर्विसेज में 2,420 करोड़ रुपये का और निवेश करेगी और कंपनी मार्च से पहले उसके लेनदारों को भुगतान करने के लिए नकदी का इस्तेमाल करेगी।
बैंंकिंग सूत्रों के मुताबिक, टाटा टेलीसर्विसेज को फरवरी में बैंकों को फरवरी के आखिर तक 1,530 करोड़ रुपये और 11 मार्च को 890 करोड़ रुपये चुकाना है। लेनदार ने कहा, हमें टाटा टेलीसर्विसेज के प्रबंधन ने आश्वस्त किया है कि टाटा संस कंपनी में नकदी लगाएगी।
टाटा संस यह नकदी टीसीएस के पुनर्खरीद कार्यक्रम में शामिल होकर जुटाएगी। टाटा संस और उसकी समूह कंपनी टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन टीसीएस के शेयर 4,500 रुपये प्रति शेयर के भाव पर बेचकर करीब 12,993 करोड़ रुपये जुटाएगी। टाटा टेलीसर्विसेज ने पिछले साल दिसंबर में समाप्त नौ महीने की अवधि में 1,400 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया है और उसका 19,182 करोड़ रुपये का नकारात्मक नेटवर्थ है, ऐसे में उसे कर्ज चुकाने के लिए प्रवर्तक की मदद की दरकार है। यह जानकारी बैंकर ने दी। कंपनी का कुल राजस्व दिसंबर में समाप्त नौ महीने की अवधि में 1,250 करोड़ रुपये रहा।
टाटा टेलीसर्विसेज, टाटा संस की नकदी खींचने वाली इकाई बनी हुई है जबकि समूह ने सेल्युलर टेलीफोनी कारोबार भारती एयरटेल को बेच दिया है। समूह पहले ही टाटा टेलीसर्विसेज का 60,000 करोड़ रुपये कर्ज व भारत सरकार के बकाए का भुगतान कर चुका है।
टाटा टेलीसर्विसेज और उसकी सूचीबद्ध सहायक टाटा टेली महाराष्ट्र पर पिछले साल 31 मार्च को ब्याज समेत 18,500 करोड़ रुपये एजीआर बकाया था, जब सर्वोच्च न्यायालय ने सभी दूरसंचार कंपनियों को एजीआर आधारित सभी सरकारी बकाया चुकाने का निर्देश दिया था। इसमें से टाटा कंपनियोंं ने 4,200 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
पिछले साल 29 अक्टूबर को टीटीएसएल और टीटीएमएल ने दूरसंचार विभाग को एजीआर आधारित बकाए का भुगतान चार साल में करने की सूचना दी थी। इस साल 11 जनवरी को इस क्षेत्र के लिए घोषित राहत पैकेज के तहत टाटा टेली ने मोहलत अवधि के ब्याज को टीटीएसएल व टीटीएमएल के इक्विटी शेयर में बदलने की अपनी इच्छा के बारे में जानकारी दी थी। लेकिन दूरसंचार विभाग ने अपनी गणना में पाया कि टाटा की दूरसंचार कंपनियों पर ब्याज के तौर पर महज 200 करोड़ रुपये बकाया है जबकि टाटा का आकलन 800 करोड़ रुपये का था, ऐसे में 1 फरवरी को टीटीएसएल व टीटीएमएल ने विभाग को सूचित किया कि वह ब्याज को इक्विटी में बदलने का विकल्प नहींं चुनेगी।
