अंबुजा सीमेंट में 63 फीसदी हिस्सेदारी की मालिक माॉरिशस की होल्डरिंड इन्वेस्टमेंट्स आगामी हफ्तों में जब इस भारतीय कंपनी में हिस्सेदारी बेचेगी तो वह भारत-मॉरिशस कर संधि के तहत पूंजीगत लाभ में छूट का दावा कर पाएगी। कर विशेषज्ञों का ऐसा कहना है। इस समय होल्सिम भारत में कई कर विशेषज्ञों के साथ बातचीत कर यह सुनिश्चित कर रही है कि उसकी बिक्री ब्रिटेन की वोडाफोन की तरह कर विवाद में नहीं उलझे। वोडाफोन ने जब अपना भारतीय कारोबार हचीसन से खरीदा था तो उसे एक दशक से अधिक समय तक यहां कर विभाग की मुकदमेबाजी का सामना करना पड़ा था। कर विभाग के साथ बातचीत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि आम तौर पर खरीदार विदहोल्डिंग टैक्स पर कर विभाग से अनापत्ति प्रमाण-पत्र (एनओसी) की मांग करते हैं।
कर विशेषज्ञों ने कहा कि भारतीय कंपनी में होल्सिम की हिस्सेदारी 1 अप्रैल 2017 से पहले की है, लेकिन संधि अप्रैल 2017 से पहले की हिस्सेदारी एवं निवेश के लिए भी लागू होगी और इस तरह कर छूट मिलती है।
ज्यूरिख की दिग्गज सीमेंट कंपनी होल्सिम अपना भारतीय कारोबार नीलामी में 6 अरब डॉलर तक बेच सकती है, जिसमें अदाणी, जेएसडब्ल्यू और आदित्य बिड़ला समूह जैसी बड़ी कंपनियों की भागीदारी की संभावना है। होल्सिम इससे मिलने वाली रकम का इस्तेमाल अपना कर्ज घटाने में करेगी।
खरीदार को अंबुजा सीमेंट्स और उसकी सूचीबद्ध सहायक कंपनी एसीसी दोनों के लिए खुली पेशकश लानी होगी, जिसके लिए उसे 4 अरब डॉलर की जरूरत अलग से होगी। अंबुजा में होल्सिम की हिस्सेदारी शुक्रवार को 46,517 करोड़ रुपये की थी।
प्रमुख कर सलाहकार कंपनी कैटालिस्ट एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक केतन दलाल ने कहा, ‘होल्सिम द्वारा सीमा पार बिक्री के कर नतीजे होल्डिंग ढांचे और लेनदेन के ढांचे समेत विभिन्न कारकों पर निर्भर करेंगे। ऐसा लगता है कि भारत में सूचीबद्घ कंपनी अंबुजा सीमेंट्स पर नियंत्रण एक भारतीय होल्डिंग कंपनी के जरिये है। उस भारतीय होल्डिंग कंपनी पर मॉरिशस की एक कंपनी का नियंत्रण है। यदि मॉरिशस की कंपनी भारतीय होल्डिंग कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचती है तो कायदे में वह भारत-मॉरिशस कर संधि के तहत पूंजीगत लाभ कर में छूट का दावा कर सकती है।’ भारत-मॉरिशस संधि 1990 के दशक की शुरुआत में विदेशी निवेश लुभाने के लिए की गई थी। दलाल ने कहा, ‘दुर्भाग्य है कि जमीनी स्तर पर मुकदमेबाजी बनी हुई है। हालांकि सीबीडीटी से कहा गया है कि वह साफ करे कि संधि में पहले से मुहैया कराई गई छूट की तरह 2017 से पहले के शेयरों पर भी छूट मिलेगी।’ दलाल ने कहा, ‘अनिवासी विक्रेता को भुगतान के संबंध में खरीदार के लिए विदहोल्डिंग टैक्स की देनदारी होती है, इसलिए आम तौर पर खरीदार अनापत्ति प्रमाण-पत्र पर जोर देते हैं और यह प्रमाणपत्र हासिल करना काफी मुश्किल होता है।’
