नैनो के निर्माण से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए उद्योग अब इस परियोजना के सिंगुर से चले जाने के बाद अपने नुकसान का हिसाब कर रहे हैं।
टाटा मोटर्स के बंगाल छोड़ देने से प्लास्टिक उद्योग की छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। ये कंपनिया नैनो के लिए प्लास्टिक की आपूर्ति करने वाली थी।
भारतीय प्लास्टिक संघ के अध्यक्ष के के सेकसरिया ने बताया, ‘ लगभग 15 छोटी और बड़ी प्लास्टिक कंपनियों को टाटा की लखटकिया कार के लिए प्रोसेस्ड प्लास्टिक पुर्जों की आपूर्ति करने का ठेका मिला था। कंपनियों द्वारा आपूर्ति किए गए पुर्जे टाटा जॉनसन कंट्रोल्स और टाटा ऑटो कॉम्प सिस्टम्स लिमिटेड के जरिए इस कार के निर्माण में इस्तेमाल किए जाने थे।’
पिछले हफ्ते तक ऑटो पुर्जे बनाने वाली दिग्गज कंपनियां किफायती दामों पर माल की आपूर्ति करने वाले छोटे सप्लायर्स की तलाश कर रहीं थी। इसके लिए इन कंपनियों के अधिकारियों ने प्लास्टिक बनाने वाली कई कंपनियों के संयंत्रों का दौरा भी किया था।
इन छोटी कंपनियों ने टाटा की इस परियोजना के लिए प्लास्टिक प्रसंस्करण करने वाले हाई ऐंड श्रेणी के लगभग 60 उपकरणों की खरीद का ऑर्डर भी दे दिया था। इस प्रत्येक उपकरण की औसत कीमत 50 लाख रुपये है।
दरअसल पहले से ही प्लास्टिक कंपनियां राज्य में प्लास्टिक की कम खपत से जूझ रही हैं। उन्होंने बताया कि नैनो परिसर में मौजूद कुछ प्लास्टिक आपूर्तिकर्ताओं को नैनो परियोजना के साथ ही वहां से चलने के लिए भी कहा गया है।