नकदी संकट के बावजूद हिंडाल्को इंडस्ट्रीज अपने उस बड़े ऋण की अदायगी के लिए 3 अरब डॉलर जुटाने में सफल रही है जो उसने अमेरिकी कंपनी नोवेलिस लिमिटेड के अधिग्रहण के दौरान लिया था।
कंपनी ने अपने ब्रिज लोन के भुगतान के लिए लंदन इंटरबैंक ऑफर्ड रेट (लाइबोर) से 3.15 फीसदी अधिक दर से 1 अरब डॉलर का ऋण जुटाया है। कंपनी ने 5,000 करोड़ रुपये राइट इश्यू के जरिये और इसी तरह बाकी राशि का इंतजाम अंदरूनी स्रोतों के जरिये किया है।
मौजूदा नकदी संकट और ब्याज दरों में तेजी को देखते हुए ऐसा माना जा रहा था कि कंपनी को बाजार में 1 अरब डॉलर का ऋण जुटाने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ब्रिज लोन की कुल राशि 3 अरब डॉलर है और इसका पुनर्भुगतान 12 नवंबर को किया जाना है।
इस मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि कंपनी और 3,000 करोड़ रुपये बॉन्ड बाजार से जुटाने जाने की संभावना तलाश रही है। सूत्रों ने बताया कि कंपनी 12 फीसदी की कूपन दर के साथ गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) जारी कर तकरीबन 3,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है। कंपनी संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कॉल ऐंड पुट ऑप्शन देगी।
एक बैंकर ने कहा, ‘प्रमुख भारतीय कॉरपोरेट घरानों में से कई ने लाइबोर से लगभग 5 फीसदी से भी अधिक की दर पर अल्पावधि ऋण का सहारा लिया है और उन्हें संस्थागत निवेशकों के जोखिम से बचने और नकदी संकट के कारण दीर्घावधि ऋण जुटाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।’
सूत्रों ने बताया कि वैश्विक बैंकों से उधारी के अलावा कंपनी ने राइट इश्यू के जरिये भी 5,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। कंपनी ने कोष संचालन के जरिये अंदरूनी स्रोतों से तकरीबन 1 अरब डॉलर की राशि जुटाई है। इन विदेशी बैंकों में एबीएन एमरो, डायचे बैंक बार्कलेज कैपिटल, सेल्योन, सिटीगु्रप, बैंक ऑफ अमेरिका, एचएसबीसी और राबो बैंक, बैंक ऑफ टोक्यो-मित्सुबिशी, मिजुओ फाइनेंशियल और सुमितोमो मित्सु प्रमुख रूप से शामिल थे।