डाउनस्ट्रीम श्रेणी में अपने पूंजीगत खर्च को लगतार बढ़ाते हुए हिंडाल्को इंडस्ट्रीज ने आज एक नए सौदे की घोषणा की। कंपनी ने 247 करोड़ रुपये के एंटरप्राइज मूल्य पर नॉर्वे की कंपनी हाइड्रो के एल्युमीनियम निष्कर्षण कारोबार का अधिग्रहण करने के लिए एक निश्चित समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। लेनदेन अगली तिमाही तक पूरा होने की उम्मीद है।
आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश में हाइड्रो के कुप्पम संयंत्र की क्षमता 15,000 टन निष्कर्षण की है और वह सरफेस फिनिशिंग एवं फैब्रिकेशन के लिए अतिरिक्त क्षमता से लैस है। बेंगलूरु से करीब 120 किलोमीटर दूरी पर स्थित कुप्पम संयंत्र वाहन, भवन एवं निर्माण और औद्योगिक उपयोग के लिए कस्टम एल्युमीनियम निष्कर्षण उत्पाद एवं समाधान की पेशकश करता है। कंपनी ने कहा है कि इस सौदे के साथ ही दक्षिण भारत में हिंडाल्को की मौजूदगी का विस्तार होगा जो निष्कर्षण के लिए भारत का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है।
हिंडाल्को इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक सतीश पई के हवाले से विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘पिछले साल हमने सिल्वासा और हिराकुड में डाउनस्ट्रीम क्षमता जोडऩे के लिए 3,730 करोड़ रुपये के कुल पूंजीगत खर्च की घोषणा की थी। हमारे तांबा मूल्यवृद्र्धित पोर्टफोलियो के लिए रेकर कॉपर वायर रॉड इकाई का हालिया अधिग्रहण उसी रणनीति के अनुरूप है।’
यह अधिग्रहण हिंडाल्को की उस रणनीति के अनुरूप है जिसके तहत बाजार की बढ़ती मांग को पूरा करने, उत्पाद पोर्टफोलियो में विस्तार करने और मूल्यवृद्र्धित उत्पादों से राजस्व बढ़ाने के लिए डाउनस्ट्रीम क्षमता में विस्तार करने की योजना बनाई गई है। कुप्पम संयंत्र पश्चिमी भारत के सिल्वासा में हिंडाल्को के अत्याधुनिक निष्कर्षण संयंत्र के लिए एक मॉडल के तौर पर भी काम करेगा।
देश में एल्युमिनियम निष्कर्षण बाजार का आकार तेजी से बढ़ रहा है और उसे करीब 3,73,000 टन के मौजूदा स्तर से बढ़कर 2030 तक करीब 8,50,000 टन तक पहुंचने का अनुमान है। कुप्पम और सिल्वासा इकाइयों के चालू होने से हिंडाल्को की एल्युमीनियम निष्कर्षण क्षमता 60,000 टन से बढ़कर 1,09,000 टन होने की उम्मीद है।
हिंडाल्को इंडस्ट्रीज करीब 2,400 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च के साथ वित्त वर्ष 2022 को अलविदा कर सकती है। इससे पहले उसने 2,700 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च की योजना बनाई थी लेकिन चालू वित्त वर्ष के दौरान कोविड की दूसरी लहर से उसे कुछ महीनों का नुकसान हुआ।
