मुंबई की कंपनी हेजल मर्केंटाइल रिलायंस नेवल ऐंड इंजीनियरिंग (आरएनईएल) के लिए सबसे बड़ी बोलीदाता बनकर उभरी है। हेजल ने रिलायंस नेवल के लिए करीब 2,100 करोड़ रुपये की बोली लगाई है। इसके साथ ही उसने दो अन्य बोलीदाताओं नवीन जिंदल समूह और दुबई की जीएमएस को अधिग्रहण की दौड़ में पीछे छोड़ दिया। नवीन जिंदल समूह ने रिलायंस नेवल के लिए करीब 400 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। जीएमएस ने इससे भी कम करीब 200 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी।
रिलायंस नेवल के ऋणदाताओं की समिति ने आज हुई बैठक में सभी चार बोलीदाताओं की बोलियों को वैध माना और वह आगे बेहतर पेशकश के लिए बातचीत शुरू करेगी। घटनाक्रम के जानकार सूत्रों ने कहा कि संबंधित पक्षों से बोलियों पर मोलभाव करने के बाद उनकी पेशकश पर वोटिंग की जाएगी।
रिलायंस नेवल ऐंड इंजीनियरिंग को 8,000 करोड़ रुपये के कर्ज भुगतान में चूक करने के कारण ऋण समाधान में भेजा गया था। सौदे से जुड़े एक ऋणदाता ने कहा कि कर्ज इससे कम हो सकता था, अगर कंपनी भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल और ओएनजीसी के अपने ऑर्डर पूरे करती। ओएनजीसी ने 2009-10 में कंपनी को 12 ऑफशोर जलपोतों का ऑर्डर दिया था। इनमें से 2015-16 तक केवल सात जलपोतों की आपूर्ति की गई है। इसके बाद ओएनजीसी ने अपना ऑर्डर रद्द कर दिया और वित्त वर्ष 2018-19 में सभी बैंक गारंटी को भुना लिया। इससे कंपनी पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ गया। कंपनी द्वारा ओएनजीसी के खिलाफ मध्यस्थता याचिका दायर की गई थी जो अभी लंबित है।
कंपनी को पिछले साल जनवरी में आईडीबीआई बैंक द्वारा ऋण समाधान में भेजा गया था। उसके बाद से कंपनी दिवालिया प्रक्रिया का सामना कर रही है। रिलायंस नेवल पर बैंकों ने कुल 12,429 करोड़ रुपये का दावा किया है, जिसमें ब्याज भी शामिल है।