दिल्ली उच्च न्यायालय में सोमवार को दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के खिलाफ रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (आरइन्फ्रा) की आरे से दायर याचिका पर सुनवाई होगी। याचिका में सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश को लागू कराने की गुहार लगाई गई है जिसके तहत अनिल अंबानी की कंपनी को एक मध्यस्थता फैसले के तहत 7,100 करोड़ रुपये दिए जाने की बात कही गई थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में डीएमआरसी की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था। सर्वोच्च न्यायाल ने अपने पिछले आदेश के तहत रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की इकाई दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) के पक्ष में फैसला सुनाया था। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की यह सहायक इकाई दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो लाइन का संचालन करती है।
सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश 9 सितंबर 2021 को दिया था और इसलिए डीएमआरसी पर करीब 200 करोड़ रुपये की ब्याज देनदारी पहले ही हो चुकी है। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय के पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसके तहत डीएएमईपीएल के पक्ष में मध्यस्थता फैसला सुनाया गया था। डीएएमईपीएल को सुरक्षा कारणों से एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रोलाइन के संचालन से बाहर कर दिया गया था।
मध्यस्थता ट्रिब्यूनल ने मई 2017 के अपने आदेश के तहत डीएएमईपीएल के उस दावे को स्वीकार कर लिया था कि ढांचागत खामी जैसे कारणों से उस मेट्रो लाइन के परिचालन को जारी रखना व्यवहार्य नहीं है।
साल 2008 में डीएएमईपीएल ने साल 2038 तक एयरपोर्ट मेट्रो लाइन का परिचालन करने के लिए डीएमआरसी के साथ एक अनुबंध किया था। हालांकि बाद में दोनों पक्षों के बीच विवाद पैदा होने के बाद एयरपोर्ट लाइन पर मेट्रो का परिचालन रोक दिया गया और मध्यस्थता धारा के तहत डीएमआरसी के खिलाफ मामला दायर किया था। उसमें डीएमआरसी पर अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करने और टर्मिनेशन शुल्क की मांग करने का आरोप लगाया गया था।
