भारतीय लेनदारों ने रिलायंस नेवल ऐंड इंजीनियरिंग के लिए मुंबई की हेजल मर्केंटाइल की पेशकश पर ध्यान केंद्रित किया है। रिलायंस नेवल गुजरात की दिवालिया शिपयार्ड है। हेजल ने अब इस कंपनी के लिए 2,500 करोड़ रुपये की पेशकश की है क्योंंकि लेनदारों ने पहले की बोली के मुकाबले उसमें बढ़ोतरी करने को कहा था।
रिलायंस नेवल ऐंड इंजीनियरिंग को पिछले साल जनवरी में दिवालिया संहिता 2016 के तहत कर्ज समाधान के लिए भेजा गया था जब कंपनी 12,500 करोड़ रुपये का कर्ज नहींं चुका पाई।
बैंकरों ने कहा, दूसरी बोलीदाता जिंदल समूह, हेजल की पेशकश के बराबर बोली नहीं लगा पाया। जिंदल ने करीब 400 करोड़ रुपये की पेशकश की थी जबकि हेजल की पहले की बोली इस कंपनी के लिए 2,100 करोड़ रुपये की थी।
अगर सभी लेनदार हेजल के प्रस्ताव पर मतदान करते हैं तो बैंकों के कर्ज की 20 फीसदी रिकवरी हो जाएगी। हालिया मामलों वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज व शिवा इंडस्ट्रीज समेत अन्य मामलों के मुकाबले बेहतरत होगी, जहां पांच फीसदी रिकवरी होती। इसे बैंकों ने मंजूरी दे दी थी लेकिन यह कानूनी मामलों में फंस गई।
नया प्रबंधन रिलायंस नेवल को भारतीय नौसेना, कोस्ट गार्ड और ओएनजीसी से पैट्रोल नौका और ऑफशोर सप्लाई वेसेल्स की आपूर्ति की खातिर ऑर्डर में मदद करेगा।
रिलायंस नेवल देश के सबसे बड़े एकीकृत शिपबिल्डिंग केंद्र का परिचालन करती है, जहां ड्राई डॉक है। उसकी इकाई के पास भारत में एकमात्र मॉड्युलर शिपबिल्डिंग केंद्र है और उसके पास बेहतर क्षमता है।
कंपनी का कर्ज तब बढऩे लगा जब वह ओएनजीसी को समय पर जहाजों की आपूर्ति करने में नाकाम रही। तेल दिग्गज ने 2009-10 में 12 ऑफशोर सप्लाई वेसेल्स का ऑर्डर दिया था। इसमें से सिर्फ सात की डिलिवरी ही 2015-16 तक हो पाई।
इसके बाद ओएनजीसी ने ऑर्डर रद्द कर दिया और वित्त वर्ष 19 में बैंक गारंटी भुना ली, जिससे कंपनी पर अतिरिक्त बोझ पड़ा। कंपनी की तरफ से ओएनजीसी के खिलाफ दाखिल आर्बिट्रेशन याचिका अभी लंबित है। जब रिलायंस नेवल को कर्ज समाधान के लिए भेजा गया तब उसे ऑर्डर मिलना बंद हो गया और उसने मार्च 2021 में समाप्त वित्त वर्ष में 75 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया जबकि उसका शुद्ध नुकसान 1,621 करोड़ रुपये रहा।
परिचालन शुरू होने पर कंपनी भारतीय सुरक्षा बलों को तकनीक केंद्रित जहाज भारत में बनाकर समर्थन देने में सक्षम होगी, ऐसे में विदेशी मुद्रा की बचत होगी। अभी सुरक्षा बलोंं के लिए जहाज का निर्माण मुख्य रूप से सरकार के स्वामित्व वाले यार्ड में होता है।
