टाटा समूह की प्रमुख होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने समूह की दूरसंचार कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज के किसी भी दायित्व को पूरा करने के लिए उसके लेनदारों को पेशकश की है।
एक बैंकिंग सूत्र ने कहा कि टाटा संस द्वारा अपनी गैर-सूचीबद्ध सहायक कंपनी के लिए यह गारंटी सितंबर में दी गई थी। उसके कुछ समय बाद केंद्र सरकार ने 14,000 करोड़ रुपये के उसके पिछले एजीआर (सकल समायोजित राजस्व) बकाये के भुगतान के लिए कंपनी को चार साल की मोहलत देने का निर्णय लिया था।
इस बाबत जानकारी के लिए टाटा संस को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं आया।
टाटा संस जून 2019 तक टाटा टेलीसर्विसेज में करीब 46,600 करोड़ रुपये का निवेश पहले ही कर चुकी है ताकि उसे अपने बकाये ऋण का पुनर्भुगतान करने में मदद मिल सके। टाटा टेलीसर्विसेज ने अपने मोबाइल सेवा कारोबार शुरू करने और पूंजीगत व्यय संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए ये ऋण लिए थे।
सूत्र ने कहा कि मोहलत की अवधि समाप्त होने के बाद टाटा संस एजीआर के अतिरिक्त बोझ को भी निपटा देगी क्योंकि कंपनी के पास मौजू नकदी एवं नकदी समतुल्य परिसंपत्ति कम है। टाटा टेलीसर्विसेज ने 29 अक्टूबर को दूरसंचार विभाग को बताया कि वह अपने एजीआर बकाये के भुगतान के लिए चार साल की मोहलत अवधि का उपयोग करने का निर्णय लिया है। उसने विभाग को यह भी बताया कि ब्याज की रकम को इक्विटी में बदलने संबंधी निर्णय के बारे में दूरसंचार विभाग को उसके 14 अक्टूबर 2021 के पत्र के तहत निर्धारित तीन महीने के भीतर सूचित किया जाएगा।
टाटा टेलीसर्विसेज का पूंजीगत ढांचा भारी ऋण बोझ तले दबाव में बरकरार रहेगा। उस पर टाटा टेलीसर्विसेज और उसकी सूचीबद्ध सहायक इकाई का सकल बैक ऋण बरकरार रहेगा। टाटा टेलीसर्विसेज महाराष्ट्र 31 मार्च, 2021 के अनुसार 10,800 करोड़ रुपये की थी।
एक बैंकिंग सूत्र के अनुसार, यह दूरसंचार कंपनी एंटरप्राइज ग्राहकों को कनेक्टिविटी एवं संचार समाधान प्रदान करने के लिए अपनी कारोबारी रणनीति में बदलाव कर रही है। उसकी सेवाओं के दायरे में कनेक्टिविटी, गठबंधन, क्लाउड, सिक्योरिटी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) और मार्केटिंग समाधान शामिल हैं। कंपनी अपने वायरलेस टेलीफोनी कारोबार की बिक्री भारती एयरटेल को मुफ्त में करने के बाद ऐसा कर रही है।
अपने मोबाइल फोन कारोबार को अलग करने के बाद टाटा टेलीसर्विसेज फिलहाल अपने फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क के जरिये अपने एंटरप्राइज ग्राहकों को सेवाएं प्रदान कर रही है। उसके ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क का दायरा देश के 60 शहरों को कवर करते हुए 1,32,000 किलोमीटर में विस्तृत है और उसके साझेदारों की संख्या 1,800 है। मार्च 2021 में समाप्त वित्त वर्ष के लिए कंपनी ने 1,605 करोड़ रुपये के परिचालन राजस्व पर 8,900 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया। वित्त वर्ष 2020 के लिए कंपनी का परिचालन राजस्व 1,850 करोड़ रुपये रहा था जबकि उसने 13,325 करोड़ रुपये का भारी घाटा दर्ज किया था। कंपनी 1995 में मोबाइल टेलीफोनी कारोबार में उतरने वाली शुरुआती कंपनियों में शामिल है। फिलहाल टाटा संस एवं उससे संबद्ध कंपनियों की टाटा टेलीसर्विसेज में करीब 95.17 फीसदी हिस्सेदारी (31 मार्च 2021 के अनुसार) है।
लेनदारों का कहना है कि परिचालन बंद करने वाली अधिकतर दूरसंचार कंपनियों ने अपने ऋण की अदायगी नहीं की लेकिन टाटा टेलीसर्विसेज ने अपनी मूल कंपनी टाटा संस द्वारा दी गई रकम की बदौतल अपने सभी बकाये का भुगतान किया है।
