एयर इंडिया को होने वाले तगड़े घाटे को पहले से ही भांपकर सरकार ने नैशनल एविएशन कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसीआईएल) के पर कतरने शुरू कर दिए हैं।
एयर इंडिया इसी कंपनी के तहत आती है और पिछले वित्त वर्ष में कंपनी को 4,334 करोड़ रुपये का सकल घाटा होने का अनुमान है। सरकार ने इसके इलाज के लिए उसे घाटे वाले रास्तों पर उड़ानें कम करने और विमानों की तैनाती तथा उड़ान के समय भी बदलने के सुझाव दिए हैं।
सरकार के मुताबिक हाल में समाप्त हुए वित्त वर्ष के दौरान कंपनी को लगभग 3,000 करोड़ रुपये का घाटा होने जा रहा है। सकल घाटे में वह बकाया भी शामिल है, जो एयर इंडिया अभी तक तेल कंपनियों और विमानपत्तन प्राधिकरण को नहीं दे सकी है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक घाटा होने की बड़ी वजह मंदी की वजह से ढुलाई कम होना भी है। ढुलाई यानी कार्गो परिवहन पिछले वित्त वर्ष के दौरान 25 से 28 फीसदी घट गया था। शीर्ष सरकारी सूत्रों ने बताया कि सरकार ने घाटा देने वाले रास्तों को दो श्रेणियों में बांटा है। पहली श्रेणी में वे रास्ते हैं, जिनसे ईंधन का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है।
दूसरी श्रेणी में वे रास्ते हैं, जिनसे पूरी परिचालन लागत वसूल नहीं हो रही है। इनमें से पहली श्रेणी के रास्तों पर उड़ानें कम या खत्म करने की सरकार की योजना है। लेकिन सूत्रों ने यह नहीं बताया कि कितने रास्ते इस श्रेणी में आ रहे हैं। अलबत्ता उन्होंने यह जरूर बताया कि कुल घरेलू उड़ानों का बमुश्किल 30 फीसदी हिस्सा इससे प्रभावित होगा।
अंतरराष्ट्रीय रास्तों की बात करने पर अधिकारी ने कहा कि दक्षिण एशियाई मार्ग चिंता का बड़ा सबब हैं। इसके अलावा लंदन की उड़ानों पर भी मुसाफिर कम हैं क्योंकि जेट और किंगफिशर की उड़ानें एयर इंडिया से महज आधे घंटे पहले या बाद में उड़ती हैं।
नए रास्तों पर उड़ान शुरू किए जाने के बावजूद एयर इंडिया की कुल कमाई में आधी हिस्सेदारी अब भी पश्चिम एशिया की होती है। खुशखबरी भारत-न्यूयॉर्क मार्ग से है, जहां मुनाफा शुरू हो चुका है। सूत्रों ने यह भी बताया कि लागत कम करने के लिए एयर इंडिया अपने सभी कर्मचारियों के भत्तों में कटौती कर चुकी है।
लेकिन उसकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना का ज्यादा फायदा नहीं हुआ है। कंपनी को उम्मीद थी कि 1500 कर्मचारी इसे कबूल कर लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सूत्रों का यह भी कहना है कि एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का विलय अपने तय समय से 6 महीना देर से चल रहा है और मानव संसाधन के एकीकरण की कवायद भी केवल उप महाप्रबंधक स्तर तक ही हो पाई है।
इसका मतलब है कि अभी 60 फीसदी एकीकरण बाकी रह गया है, जिसमें खासा समय लग सकता है। माना जा रहा है कि बोर्ड बैठक के दौरान मई में एयर इंडिया अपनी कमाई का खुलासा सरकार के सामने करेगी।
एनएसीआईएल को पिछले वित्त वर्ष में 4,334 करोड़ रुपये के सकल घाटे का सरकारी अनुमान
घाटा 3,000 करोड़ रुपये, लेकिन बकायों ने भी की हालत खस्ता
सरकार ने की घाटे वाले मार्गों पर उड़ानें घटाने की वकालत, समय बदलने का भी है सुझाव
कर्मचारियों के भत्तों में भी गुपचुप कटौती कर चुकी है कंपनी
