बुनियादी ढांचा क्षेत्र में आई गिरावट की वजह से इस क्षेत्र की बड़ी कंपनी जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर की हालत खस्ता है।
कंपनी इस समय तकरीबन 10,000 करोड़ रुपये के ऋण जाल में फंसी हुई है। हवाई अड्डा, बिजली, हाईवे और विशेष आर्थिक क्षेत्र से जुड़ी बेंगलुरु की कंपनी का कर्ज चालू वित्त वर्ष के अंत तक 10,000 करोड़ का आंकड़ा पार कर जाने की आशंका है।
कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि लगभग 3,000 करोड़ रुपये के राजस्व के साथ जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर के पास 7900 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति है और 9300 करोड़ रुपये का यह ऋण सुरक्षित है। एक अधिकारी ने कहा, ‘बुनियादी ढांचा परियोजनाएं सामान्यता ऋण के दम पर तैयार होती हैं। इसी तरह विद्युत परियोजनाओं का 70 फीसदी कामकाज ऋण पर निर्भर हैं।’
हालांकि इस उद्योग से जुड़े विश्लेषकों ने संकेत दिया है कि जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर अपना विस्तार कर रही है और संभावना जताई जा रही है कि वह इस संकट का सामना कर लेगी। विश्लेषकों के मुताबिक जीएमआर पर आक्रामक विस्तार योजनाओं, निर्माण लटकने और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश के लिए कोष की जरूरत का बोझ पड़ सकता है।
भारत में एक प्रमुख रेटिंग एजेंसी ने आंध्र प्रदेश में हाल ही में जीएमआर की एक विद्युत परियोजना के लिए 600 करोड़ रुपये के ऋण कार्यक्रम को दीर्घावधि आधार पर अपर्याप्त-ऋण गुणवत्ता का दर्जा दिया है।
क्रेडिट एजेंसी का कहना है कि यह दर्जा प्राकृतिक गैस की उपलब्धता और मूल्य निर्धारण से संबद्ध अनिश्चितताओं को ध्यान में रख कर दिया गया है। इन अनिश्चितताओं की वजह से आंध्र प्रदेश के वेमागिरि में 388.5 मेगावाट के गैस आधारित संयंत्र, जो सितंबर, 2006 में ही तैयार हो गया था, अभी तक परिचालन में नहीं आया है।
लेकिन कंपनी के अधिकारियों को यकीन है कि यह 2009 से पहले परिचालन में आ जाएगा।