वैश्विक स्तर की तेल और गैस की दिग्गज कंपनियों ने सोमवार की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संवाद में भारत के लिए अपनी योजनाएं पेश की और भारत को गैस और अक्षय ऊर्जा का संभावित बाजार बनने को लेकर आशान्वित नजर आए।
मोदी ने इस उद्योग के दिग्गजों को भारत के ऊर्जा क्षेत्र में और अधिक निवेश करने के लिए आमंत्रित किया और ऊर्जा क्षेत्र में आगे वृद्घि करने के लिए उनसे अभिनव विचार मांगे। इस कार्यक्रम को सुरक्षित तरीके से आभासी प्लेटफॉर्म पर आयोजित किया गया था। करीब ढाई घंटे तक इसको लेकर चर्चा हुई और तेल तथा गैस क्षेत्र से करीब 40 मुख्य कार्याधिकारियों ने इसमें हिस्सा लिया। कार्यक्रम में इनमें से 28 ने प्रधानमंत्री के साथ अपने विचार साझा किए। उद्योग के प्रत्येक दिग्गज ने करीब दो से तीन मिनट अपनी बात रखी। प्रमुख वक्ताओं में तेल और गैस की दिग्गज कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारी शामिल थे। बैठक में रोसनेफ्ट, बीपी, टोटल, ल्योनडेल बासेल, टेल्यूरियन, शलम्बर्जर, बेकर ह्यूग्स, जेरा, एमर्सन और एक्स-कोल ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का आयोजन नीति आयोग और पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने किया था।
अबू धाबी नैशनल ऑयल कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी सुल्तान अहमद अल जेबर ने रेखांकित किया कि भारत संयुक्त अरब अमीरात का महत्त्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है और भारत द्वारा रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारों (एसपीआर) में शामिल होने वाला वह पहला देश है और वह सक्रियता से और ऐसे मौकों पर विचार कर रहे हैं। एडनॉक भी 44 अरब डॉलर की नियोजित रत्नागिरी रिफाइनरी में एक हिस्सेदार है। जेबर ने भारत की ऊर्जा जरूरत को पूरा करने के लिए पूरी प्रतिबद्घता जताई है।
साद शेरीदा अल-काबी कतर में ऊर्जा राज्यमंत्री हैं और कतर पेट्रोलियम के मुख्य कार्याधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि उनका देश भारत के साथ दीर्घावधि एलएनजी आपूर्ति के लिए प्रतिबद्घ है। भारत दीर्घ अवधि के दो समझौते के तहत कतर से सालाना करीब 85 लाख टन तरलीकृत प्राकृतिक गैस आयात करता है। उन्होंने भारत में गैस के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए 60 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना का स्वागत किया और कहा कि इस कदम से भारत कम कार्बन उत्सर्जन करने वाली अर्थव्यवस्था बनेगा।
रूस की कंपनी रोसनेफ्ट के चेयरमैन इगोर सेचिन ने कहा कि उनकी कंपनी पहले ही एस्सार एनर्जी में करीब 15 अरब डॉलर का निवेश कर चुकी है और पहले से ही भारत के तेल और गैस बाजार में ऐसे ही और मौकों की तलाश कर रही है। उन्होंने रूस में तेल और गैस परियोजनाओं में भाग लेने वाली भारत की सरकारी तेल कंपनियों को भी धन्यवाद दिया।
ब्रिटेन की बीपी पीएलसी के मुख्य कार्याधिकारी बर्नार्ड लूनी ने भारत के सौर मिशन की प्रशंसा की और कहा कि यह सीओपी-21 की प्रतिज्ञा को पूरा करने के प्रति भारत की प्रतिबद्घता को दर्शाता है। लूनी ने दिखाया कि बीपी अब तेल कंपनी से आगे बढ़कर एक एकीकृत ऊर्जा कंपनी बनने जा रही है। उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी ने पहले ही भारत में 10 अरब डॉलर का निवेश किया है तथा और अधिक निवेश करने के लिए प्रतिबद्घ है। उन्होंने समूची मूल्य शृंखला में कंपनी की रुचि को रेखांकित किया जिसमें सौर, अक्षय ऊर्जा और जैव ईंधन भी शामिल हैं। फ्रांस की टोटल एस.ए. के चेयरमैन पैट्रिक पौयान के चेयरमैन ने जैव ईंधनों और हाइड्रोजन क्षेत्र में उच्च महत्वाकांक्षाओं को जताया और एलएनजी तथा शहरी गैस वितरण में अदाणी समूह के साथ गैस क्षेत्र में अपने मौजूदा समझौते के बारे में बताया। कार्यक्रम के दौरान केवल तीन भारतीय कारोबारियों ने अपने विचार रखे। इनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी, वेदांत रिसोर्सेज के चेयरमैन अनिल अग्रवाल और ओएनजीसी के मुख्य प्रबंध निदेशक शशि शंकर शामिल रहे।
अंबानी ने मोदी को कोविड के कारण होने वाली मौतों की संख्या न्यूनतम रहने और ठीक होने की दर उच्चतम रहने तथा उनके राजकोषीय समझदारी के लिए बधाई दी। उन्होंने कृषि कानूनों, श्रम और स्वास्थ्य शिक्षा सुधारों के लिए भी सरकार की पीठ थपथपाई। उन्होंने कहा कि आरआईएल कार्बन में कटौती के उपायों के प्रति अपनी प्रतिबद्घता का बनाए रखेगी और वे हाइड्रोजन तथा अक्षय ऊजा क्षेत्रों की कंपनियां के साथ साझेदारी करना चाहेंगे। अग्रवाल ने कहा उनकी कंपनी पहले ही भारत के बाजर में 22 अरब डॉलर का निवेश कर चुकी है दो लाख बैरल प्रतिदिन का उत्पादन कर रही है जिसे बढ़ाकर करीब 10 लाख बैरल प्रतिदिन पर पहुंचाने की प्रतिबद्घता है। उन्होंने विपणन और कीमत स्वतंत्रता जैसी धारा के विपरीत सुधारों, अन्वेषण क्षेत्रों और सीबीएम पॉलिसी के मुद्रीकरण की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भारत के पास उदार राजकोषीय और नियामकीय व्यवस्था है।
मोदी ने निवेशकों को लुभाया
प्रधानमंत्री ने बैठक के दौरान रेखांकित किया कि सरकार की नीति से सभी भारतीय को समान रूप से स्वच्छ, वहनीय और टिकाऊ ऊर्जा प्राप्त हो रही है जिसके लिए देश ने एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार भारत को निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाने के लिए कई नीतिगत उपाय कर रही है। देश में ऊर्जा क्षेत्र में जबरदस्त मौके हैं। भारत ने अब अनुसंधान और उत्पादन परियोजनाओं में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दे रखी है और स्वत: मार्ग से सार्वजनिक रिफाइनिंग के क्षेत्र में 49 फीसदी एफडीआई की अनुमति दी है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से इस क्षेत्र में आने वाले एफडीआई में इजाफा हो रहा है।
उन्होंने कहा कि देश गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है।