अगले हफ्ते आईपीओ पेश करने जा रही ग्लेनमार्क लाइफसाइंसेज बढ़ती मांग पर दांव लगा रही है और अगले पांच साल में अपनी विनिर्माण क्षमता दोगुनी करेगी। कंपनी के प्रबंध निदेशक और सीईओ यासिर रावजी ने कहा, चूंकि फॉम्र्युलेशन (टेबलेट, कैप्सूल, इंजेक्ट्बल, सिरप आदि) तैयार करने वाली कंपनियां कच्चे माल के लिए चीन के अलावा एक अन्य स्रोत पर नजर डाल रही है ताकि किसी तरह का जोखिम न हो। ऐसे में एपीआई की मांग बढ़ रही है।
उन्होंने कहा, हम अपने चार अहम एपीआई की काफी मांग देख रहे हैं। हमारा मानना है, इसकी वजह यह हो सकती है कि कई फॉम्र्युलेशन निर्माता चीन के अलावा एक अन्य स्रोत पर नजर डाल रहे हैं, जो कच्चे माल की खरीद रणनीति का हिस्सा है। वैश्विक एपीआई बाजार साल 2026 तक 260 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा, जो 2021 में 190 अरब डॉलर है।
रावजी ने कहा, ग्लैनमार्क लाइफसाइंसेज ने अपनी विनिर्माण क्षमता में इजाफा करने की योजना बनाई है और अगले चार से पांच साल में इस पर 600-700 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। मौजूदा 120 किलोलीटर की क्षमता को अगले पांच साल में बढ़ाकर 1500 किलोलीटर पर पहुंचाया जाएगा। कंपनी के चार संयंत्र हैं – अंकलेश्वर, दहेज, मोहोल और कुरुकुंभ।
इसमें ब्राउनफील्ड विस्तार और सोलापुर में नया संयंत्र लगाया जाना शामिल है। दहेज संयंत्र में मौजूदा 140 टन की क्षमता को बढ़ाकर 400 टन करने की है। आईपीओ से मिलने वाली रकम में से 150 करोड़ रुपये इस पर खर्च किए जाएंगे। कंपनी ने सोलापुर में 40 एकड़ जमीन ली है, जो मोहोल संयंत्र के पास ही है। उसकी योजना सोलापुर में 600 किलोलीटर का संयंत्र लगाने की है। रावजी ने यह जानकारी दी। कंपनी पिछले कुछ वर्षों से हर साल करीब 50-60 करोड़ रुपये पूंजीगत खर्च कर रही है।
