कृषि के लिए सिंचाई के उद्देश्य से डीजल इंजनों को 1 अप्रैल, 2008 से फोकस प्रोडक्ट कैटेगरी में शामिल किए जाने की केंद्र सरकार की अधिसूचना से पंजाब की 3500 से अधिक इकाइयां लाभान्वित हो सकती हैं।
इनमें ज्यादातर इकाइयां सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की हैं। इस संबंध में अधिसूचना 10 अक्टूबर, 2008 को जारी की गई थी। सरकार के इस कदम से पंजाब और अन्य राज्यों से निर्यात में उछाल आने की संभावना है। इसके अलावा इस पहल से स्थानीय युवकों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
केंद्र सरकार के इस कदम के बाद अब डीजल इंजन निर्यातक अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पादों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बना कर निर्यात से ज्यादा लाभ हासिल करने में सफल रहेंगे। फोकस प्रोडक्ट स्कीम निर्यात के कुल मूल्य की 5.25 फीसदी की दर पर डयूटी एंटाइटलमेंट पास बुक स्कीम (डीईपीबी) के तहत लाभ की अनुमति देती है। पहले यह दर 4 फीसदी थी।
कृषि सिंचाई के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर इस्तेमाल में आने वाले डीजल इंजनों का भारत से पश्चिम एशिया, अफ्रीकी और अन्य विकासशील देशों को निर्यात किया जाता है। इस क्षेत्र में भारत से होने वाला कुल निर्यात 500 करोड़ रुपये से अधिक का है जिसमें पंजाब, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों की भागीदारी प्रमुख है।
कई जाने-माने एक्सपोर्ट हाउसों के जरिये अकेले पंजाब का इस राजस्व में 150 करोड़ रुपये से भी अधिक का योगदान है। पंजाब में फगवाड़ा, लुधियाना, भठिंडा और अमृतसर डीजल निर्माण के प्रमुख केंद्र हैं। पंजाब में फिलहाल 12 एक्सपोर्ट हाउस हैं।
राज्य में 3500 से अधिक अन्य निर्माण इकाइयां हैं जो डीजल इंजनों के कुलपुर्जों का निर्माण करती हैं और इन एक्सपोर्ट हाउसों को इन कलपुर्जों की आपूर्ति करती हैं। इस उद्योग में लगभग 5,000 श्रमिक लगे हुए हैं।
एक उद्योगपति ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, ‘पंजाब में जल स्तर में कमी आने के कारण हाल के कुछ समय में सिंचाई के उद्देश्य के लिए डीजल इंजनों की बिक्री में कमी आई है। इन डीजल इंजनों के बजाय लोग सबमर्सिबल पम्पों को ज्यादा पसंद करने लगे हैं। केंद्र सरकार की यह अधिसूचना मौजूदा उद्योगों का उत्साह बढ़ाएगी।’
निर्यातकों का मानना है कि केंद्र सरकार की ओर से डीजल इंजन निर्यातकों को सही समय पर दिए गए इस विशेष प्रोत्साहन से रोजगार के और अवसर सृजित करने में मदद मिलेगी और निर्यात में इजाफा होगा।
एक और निर्यातक ने कहा, ‘डीजल इंजनों को फोकस प्रोडक्ट स्कीम में शामिल कर सरकार ने इस उद्योग को पहचान दी है और इस कदम से रोजगार की तलाश करने वालों, खासकर इस क्षेत्र में अकुशल श्रमिकों को मौका मिलेगा।’ इससे पहले पंजाब चैम्बर ऑफ स्मॉल एक्सपोर्टर्स, फगवाड़ा ने लघु एवं मझोले उद्योगों से निर्यात को बढ़ाने के लिए एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल्स के सहयोग से पहल की थी।
चैम्बर अन्य संगठनों, संघों, चैम्बरों के सहयोग से डीजल इंजनों को फोकस प्रोडक्ट कैटेगरी में शामिल किए जाने की अपनी पुरानी मांग को मनवाने के लिए विदेश व्यापार के महानिदेशक आर. एस. गुजराल और केंद्र सरकार के प्रति अपनी कृतज्ञता जता चुका है।
फोकस प्रोडक्ट स्कीम का उद्देश्य कुछ खास औद्योगिक उत्पादों के निर्माण और निर्यात को महत्व देना है जिससे अन्य उत्पादों की तुलना में निवेश के काफी महत्वपूर्ण अवसर पैदा हो सकेंगे।