समय से ज्यादा बड़ा उपहार क्या हो सकता है? वह भी ऐसे समय, जब 20 से ज्यादा महीने पलक झपकते ही गुजर गए। पेप्सिको इंडिया की मुख्य मानव संसाधन अधिकारी पवित्रा सिंह ने कहा, ‘अब हम परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने को पहले से ज्यादा अहमियत देते हैं, इसलिए कंपनी ने अपने कर्मचारियों को एक दिन की अतिरिक्त छुट्टी का उपहार देेने का फैसला किया है ताकि वे खुद को तरोताजा, तनावमुक्त बना सकें और परिवार एवं दोस्तों के साथ दीवाली मना सकें।’ कंपनी का यह उपहार उसके द्वारा आयोजित किए जा रहे वर्चुअल कार्निवल और कर्मचारियों को दिए जा रहे पर्यावरण अनुकूल उपहारों के अलावा है।
वर्ष 2020 फीका रहने के बाद इस बार त्योहार पर भारतीय कंपनियों में कॉरपोरेट उपहारों में अहम बढ़ोतरी हुई है। कंपनियां बड़े बजट के अलावा उपहार देने में ज्यादा दिलोदिमाग लगा रही हैं। कर्मचारियों के सेहत-स्वास्थ्य पर फिर से जोर बढ़ा है। कर्मचारियों को ऐसे उपहार दिए जा रहे हैं, जो कोविड के बाद कार्य संस्कृति और जीवनशैली में बदलाव के प्रतीक हैं।
वर्क फ्रॉम होम आम हो गया है, इसलिए कंपनियों ने कर्मचारियों को वर्कस्टेशन बनाने में भी मदद दी है। बेंगलूरु की कॉरपोरेट गिफ्टिंग कंपनी रेगालोस के सीईओ नंद कुमार ने कहा कि त्योहारी सीजन से पहले एक बहुराष्ट्रीय दूरसंचार कंपनी ने अपने कर्मचारियों को एयर कंडीशनर (एसी), कुर्सियां और मेज दी हैं।
उन्होंने कहा, ‘पहले त्योहारी सीजन के दौरान एक धनी कंपनी परंपरागत मिठाइयों के डिब्बों और मेवों पर प्रति कर्मचारी 1,000 से 1,500 रुपये खर्च करती थीं। अब बजट बढ़कर 3,000 से 4,000 रुपये हो गया है क्योंकि वे सेहत एवं उपयोगिता जैसे सभी पहलुओं को शामिल करना चाहती हैं।’
यह सोच सभी क्षेत्रों में नजर आती है। हुंडई मोटर इंडिया के वरिष्ठ महाप्रबंधक और समूह प्रमुख (एचआर) चाल्र्स वाल्टर ने कहा कि कंपनी यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश कर रही है कि उसके कर्मचारी उस साल में खुद को गौरवान्वित एवं पुरस्कृत महसूस करें, जिसने उनके साहस की परीक्षा ली है। कंपनी ने इस बार त्योहार पर कर्मचारियों एवं उनके आश्रितों को अतिरिक्त स्वास्थ्य लाभ, कस्टमाइज गिफ्ट कार्ड, बिना स्पर्श के स्वत: बनी मिठाइयां और चॉकलेट बॉक्स मुहैया कराए हैं।
अपग्रेड के सह-संस्थापक मयंक कुमार कहते हैं कि त्योहारों को मनाने और कर्मचारियों को प्रोत्साहित रखने के लिए भौतिक उपहारों के अलावा संवाद सत्र, स्टैंड-अप कॉमेडी एपिसोड या वर्चुअल गरबा नाइट का इंतजाम किया गया है।
मयंक कुमार ने कहा, ‘ब्रांड की वृद्धि के चलते हमने न केवल इस साल अपने कॉरपोरेट उपहार बजट में इजाफा किया है बल्कि उन्हें त्योहार के हिसाब से भी बनाया है। हमारे कर्मचारियों (भारत एवं विदेश मेंं 3,500 से अधिक) और उनके परिवारों के लिए बनाए गए खास गिफ्ट हैंपरों में प्रत्येक की कीमत 2,000 से 2,500 रुपये है।’
उन्होंने कहा, ‘इस साल के उपहार के डिब्बों में एक बोतल आवश्यक तेल के साथ आने वाला अल्ट्रासोनिक ह्यूमिडिफायर ऑयल अरोमा डिफ्यूजर, सह-संस्थापकों की तरफ से प्रत्येक कर्मचारी को व्यक्तिगत नोट, दीये और महंगी मिठाइयां शामिल हैं।’ मिठाइयों की बात करें तो यह सीजन चॉकलेट ब्रांडों के लिए उत्साहजनक समय साबित हो रहा है। चॉकलेट विनिर्माता कोकोआट्रेट के सह-संस्थापक नितिन एल चोरडिया ने कहा कि कोविड के बाद चॉकलेट कॉरपोरेट और व्यक्तिगत उपहारों के लिए मिठाई का पसंदीदा विकल्प बन गई हैं। कोकोआट्रेट को देश भर से ऑर्डर मिले हैं। कंपनी के कॉरपोरेट उपहार 985 रुपये से शुरू होकर 3,340 रुपये तक के हैं।
चोरडिया ने कहा कि कारोबार में ज्यादा निश्चितता होने और कंपनियों के कर्मचारियों को खुद से जोड़े रखने के लिए हरसंभव प्रयास करने से पिछले साल से कॉरपोरेट उपहारों में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा, ‘परंपरागत उपहारों की जगह खास चाय, पश्चिमी मिठाइयां, पारिस्थितिकी अनुकल उपहार एवं वाउचर जैसे नए उत्पाद एवं अनुभव ले रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि यह बदलाव विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में नहीं दिखा है, लेकिन आईटी सेवा में ज्यादा दिख रहा है।
सलाहकार कंपनी टेक्नोपैक के मुताबिक भारत में संगठित कॉरपोरेट उपहार खंड 12,000 करोड़ रुपये का होने का अनुमान है। रेगालोस के कुमार यह मानते हैं कि यह 2020 के झटके के बाद तेजी से बढऩे के आसार हैं।
उदाहरण के लिए रेगालोस के पास 4,000 से अधिक अनोखे उत्पादों का पोर्टफोलियो है और उसका कारोबार कोविड से पहले के सीजन में 40 से 50 लाख रुपये रहता था। इस साल यह पहले ही 1.5 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर चुकी है। नए जमाने की कंपनियां तकनीकी उपहार भी दे रही हैं।
