रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने मार्च के अंत से ‘केजी डी-6’ बेसिन से गैस की आपूर्ति शुरू कर दी। गैस आपूर्ति बढ़ने से उम्मीद जताई जा रही है कि कई नए कामों में गैस का इस्तेमाल बढ़ेगा।
देश में गैस की अर्थव्यवस्था किस तरह विकसित हो रही है, इस पर आरआईएल के अध्यक्ष और सीईओ (पेट्रोलियम) पी. एम. एस. प्रसाद ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बात की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश :
देश में गैस का बाजार किस तरह विकसित हो रहा है?
केजी डी-6 बेसिन से गैस की आपूर्ति 8 करोड़ घनमीटर प्रतिदिन तक पहुंचते ही भारत में गैस की उपलब्धता करीब दोगुनी हो गई। साथ ही उपभोक्ताओं को गैस मिलने में हो रही दिक्कत भी लगभग खत्म हो गई है। ऊर्जा मद में देश का आयात बिल भी काफी घटने का अनुमान है।
उर्वरक, ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में अब सब्सिडी खर्च और उत्पादन लागत नीचे जाने का पूरा अनुमान है। गैस की आपूर्ति बढ़ने से बंद पड़े संयंत्रों को दुबारा चालू करने और नए संयंत्र स्थापित करने की गति अब काफी तेज हो जाएगी। अब गैस के आधारभूत ढांचे का भी तेजी से विकास हो रहा है।
गैस की उपलब्धता बढ़ने और पाइपलाइन ढांचे के विकास से गैस बाजार का बढ़ना तो तय ही है। फिलहाल शहरों में गैस वितरण की परियोजना (सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन प्रोजेक्ट) में बढ़ती रुचि इसका रुझान माना जा रहा है।
आपूर्ति बढ़ने से क्या नए कामों में गैस का इस्तेमाल बढ़ेगा?
ऊर्जा और उर्वरक क्षेत्र अब तक गैस के सबसे बड़े उपभोक्ता रहे हैं। आगे भी इसी स्थिति के बरकरार रहने की संभावना है। लेकिन आपूर्ति बढ़ने के बाद रिफाइनिंग, पेट्रोकेमिकल, इस्पात और शहरों में गैस वितरण की परियोजना में इसकी मांग बढ़ जाएगी। देश में बिजली की काफी कमी है।
गैस की उपलब्धता बढ़ने से गैस के जरिए ऊर्जा उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा। परिवहन क्षेत्र में भी गैस (सीएनजी) के और इस्तेमाल की पूरी संभावना है। गैस आधारित कई नई परियोजनाएं शुरू होने जा रही है। हाइड्रोजन के उत्पादन में इसका इस्तेमाल हो सकता है।
अगले 2-3 साल में गैस की आपूर्ति और मांग की क्या स्थिति रहने वाली है?
फिलहाल देश में गैस की रोजाना आपूर्ति 11 करोड़ घनफीट है, वहीं मांग करीब 20 घनफीट रोजाना की है। मांग और आपूर्ति के बीच के इस अंतर को अब केजी डी-6 की गैस से पूरा किया जा सकता है। आपूर्ति बढ़ने से गैस की छिपी मांग सामने आने का अनुमान है।
इसके अलावा, शहरों में गैस वितरण, सीएनजी और ऊर्जा क्षेत्र में गैस की अतिरिक्त खपत हो सकती है। इस सबके चलते गैस की मांग में 1.5 से 2 करोड़ घनमीटर रोजाना की वृद्धि हो सकती है। इसके बावजूद अगले 2-3 साल में 2 से 2.5 करोड़ घनमीटर रोजाना की कमी बनी रहेगी।
सिटी गैस परियोजना कब से शुरू हो जाएगी?
शहरों में गैस वितरण की परियोजना उभरता क्षेत्र है। आरआईएल की योजना इस क्षेत्र में जोर-शोर से भागीदारी करने की है। दरअसल इसके जरिए सीधे किसी परिवार को गैस की आपूर्ति की जा सकती है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने हाल ही में कई छोटे शहरों के लिए बोली आमंत्रित की थी। जल्द ही कई और शहरों के लिए निविदाएं आमंत्रित किए जाने का अनुमान है। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड इसमें भाग ले सकती है।
