रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ गठजोड़ के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी गेल इंडिया ने बिहार के बरौनी में 10,000 करोड़ रुपये के निवेश से पेट्रोरसायन संयंत्र को लगाने की संभावनाएं तलाशने के लिए रिफाइनिंग कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) के साथ समझौता किया है।
प्रस्तावित रसायन संयंत्र आईओसी की बरौनी रिफाइनरी में उत्पादित 2,50,000 टन नेप्था का उपयोग करेगा। गेल पूर्वी तट से प्राकृतिक गैस लाना चाहती है और आयातित एलएनजी जगदीशपुर-हल्दिया पाइपलाइन के जरिए इस गैस के लाए जाने की उम्मीद है।
गेल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक यू डी चौबे ने इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद कहा, ‘हमने (गेल और आईओसी) बरौनी में वितरण डेरिवेटिव समेत एक क्रैकर कॉम्प्लेक्स लगाने की संभावना तलाशने के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए।’
चालू वित्त वर्ष के अंत तक दोनों कंपनियां इस इकाई के लिए एक तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता अध्ययन करेंगी। आईओसी के अध्यक्ष सार्थक बेहुरिया ने कहा, ‘नेफ्था का मूल्य भारत और विश्व भर में गिर रहा है। यह ईंधन तेल (की कीमत) से भी कम कीमत पर बिक रहा है, क्योंकि इसकी बाजार में मांग ही नहीं है। हम नेप्था निर्यात करने के लिए मजबूर हैं और प्रस्तावित इकाई हमें इस ईंधन की कीमत वसूलने में मदद करेगी।’
चौबे ने कहा कि परियोजना का ढांचा और इक्विटी हिस्सेदारी पर अभी निर्णय नहीं किया गया है। चौबे ने एक रणनीतिक साझीदार को शामिल किए जाने की गुंजाइश का संकेत देते हुए कहा, ‘यह गेल और आईओसी के बीच 50-50 फीसदी का संयुक्त उद्यम हो सकता है। यह सार्वजनिक निजी भागीदारी भी हो सकती है।’
आईओसी की रिफाइनरी के बरौनी उर्वरक संयंत्र और प्रस्तावित पेट्रोरसायन इकाई तक गैस के परिवहन के लिए गया से बरौनी के बीच 130 किलोमीटर की स्पर लाइन बिछाई जाएगी। गेल की जगदीशपुर-हल्दिया पाइपलाइन पूर्वी ऑफशोर में मिली गैस का परिवहन करेगी।
आईओसी के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया जाना गेल की उस योजना का हिस्सा है, जिसके तहत वह पेट्रोरसायन को प्राकृतिक गैस के बाद आय का दूसरा सबसे बड़ा जरिया बनाना चाहती है।