भारतीय शेयर बाजारों पर जोमैटो की सफल सूचीबद्घता के बाद, भारतीय स्टार्टअप तंत्र में फ्रेशवर्क्स की सूचीबद्घता को लेकर उत्साह बना हुआ है। फ्रेशवक्र्स अमेरिका में नैस्डैक पर सूचीबद्घ हुई है। अमेरिका में सूचीबद्घ होने वाला यह पहला भारतीय सास स्टार्टअप भी है।
इस सूचीबद्घता से उत्साहित फ्रेशवक्र्स के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी गिरीश मातृभूतम का कहना है, ‘मैं एक ऐसा भारतीय एथलीट जैसा महसूस कर रहा हूं, जिसने ओलिम्पिक में स्वर्ण पदक जीता हो। मैं इस सफलता से वाकई बेहद उत्साहित हूं।’ उन्होंने कहा, ‘हम दुनिया को यह दिखा रहे हैं कि भारत से वैश्विक उत्पाद कंपनी भी ऐसी सफलता हासिल कर सकती है। वास्तविकता यह है कि हम अमेरिका और अमेरिकी बाजार में ऐसा पहली बार कर रहे हैं, यहां नैस्डैक में जगह पाना वाकई उत्साहजनक है।’
बिजनेस मॉडल और वृद्घि को लेकर भरोसा भी इसकी मुख्य वजह है कि कंपनी ने बुधवार को 36 डॉलर प्रति शेयर पर अपनी पेशकश की है। मौजूदा भाव पर, कंपनी करीब 1.03 अरब डॉलर जुटाने को तैयार है, जिसके साथ ही उसका मूल्यांकन बढ़कर 10.13 अरब डॉलर पहुंच जाएगा। यह वाकई में एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि फ्रेशवक्र्स अब सेल्सफोर्स, सैप और ओरेकल जैसी वैश्विक दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा करती है।
यह नवंबर 2019 के 3.5 अरब डॉलर मूल्यांकन से काफी ज्यादा है। नवंबर 2019 में कंपनी ने सिकोया कैपिटल, कैपिटलजी और एक्सेल से 15 करोड़ डॉलर की पूंजी जुटाई थी। उससे एक साल पहले, जुलाई 2018 में उसका मूल्यांकन 1.5 अरब डॉलर पर था, जो अब तीन-चार वर्ष के अंदर बढ़कर करीब 6 गुना के आसपास है। 2016 में, कंपनी का मूल्यांकन करीब 75 करोड़ डॉलर के आसपास था।
नैस्डैक ग्लोबल सलेक्ट मार्केट पर फ्रेशवक्र्स के शेयर में ‘एफआरएसएच’ नाम के तहत कारोबार शुरू होने की संभावना है। यह पेशकश 22 सितंबर से 24 सितंबर, 2021 के बीच खुली रहेगी। इसके अलावा, सैन मैटियो स्थित इस स्टार्टअप न अंडरराइटरों को आईपीओ में क्लास ए कॉमन स्टॉक श्रेणी के अतिरिक्त 2,850,000 शेयर खरीदने के लिए 30 दिन का विकल्प दिया है। वर्ष 2021 के पहले 6 महीनों के दौरान (30 जून तक) कंपनी का राजस्व बढ़कर 16.89 करोड़ डॉलर हो गया, जो 2020 की जनवरी-जून अवधि में 11.05 करोड़ डॉलर था। नियामक को दी जानकारी से पता चलता है कि पिछले 12 महीनों के दौरान, कंपनी का राजस्व 49 प्रतिशत तक बढ़कर 30.8 करोड़ डॉलर पर पहुंचा है।
नियामक को भेजी जानकारी के आधार पर कंपनी में निवेशकों एक्सेल और टाइगर ग्लोबल की 25.79 प्रतिशत और 26.24 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि सिकोया कैपिटल का हिस्सा 12.26 प्रतिशत के आसपास है।
उद्योग के विश्लेषकों का मानना है कि फ्रेशवक्र्स के साथ साथ अब कई और सास कंपनियां सूचीबद्घता के लिए आगे आएंगी। भारत में करीब एक हजार सास कंपनियां हैं, जिनमें से 10 को 1 अरब डॉलर मूल्यांकन के साथ यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल है। सासबूमी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ये स्टार्टअप कुल राजस्व में करीब 2-3 डॉलर का योगदान देते हैं और लगभग 40,000 कर्मियों को रोजगार मुहैया कराते हैं।
