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भूल जाइए कार और बाइक, हवाई जहाज खरीदने के लिए भी मिल रहा है लोन

Last Updated- December 07, 2022 | 12:42 AM IST

घर, बाइक या कार खरीदने के लिए कर्ज लेने वालों की तो पहले ही कोई कमी नहीं थी। इनके लिए कर्ज देने वाले भी हर जगह मिल जाते हैं।


अब कर्ज देने वाले एक कदम आगे बढ़ गए हैं और हवाई जहाज खरीदने के लिए भी कर्ज देने को तैयार हैं। जी हां… आपने सही सुना हवाई जहाज के लिए। देश में जिस तरह कम उम्र में ही लोगों को मोटी तनख्वाह दी जा रही है, उसे देखकर बैंकिंग संस्थानों और वित्तीय कंपनियों ने भी जोखिम का दायरा बढ़ाने का फैसला किया है और अब वह विमानन के क्षेत्र में भी कर्ज देने की योजना बना रही हैं।

छोटे जेट को अपने आंगन में खड़ा करने का सपना देखने वाले धनाढयों के दरवाजे पर बड़े-बड़े फाइनैंसर नोटों की झोली लेकर दस्तक देने को तैयार हैं। निजी इस्तेमाल वाले विमान खरीदने के लिए फाइनैंस करने की आकर्षक योजनाएं उनके पास मौजूद हैं। इस मामले में अमेरिका की कंपनी सेसना फाइनैंस कॉरपोरेशन (सीएफसी) बेहद तेजी से काम कर रही है। इस कंपनी का दावा है कि दुनिया भर में 182,000 विमान खरीदने के लिए वह अब तक 64,000 करोड़ रुपये का कर्ज दे चुकी है।

सीएफसी के एशिया प्रशांत क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय फाइनैंस निदेशक समीर ए रहमान ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘दुनिया भर के उड्डयन बाजार की बात की जाए, तो भारत में इस वक्त सबसे ज्यादा गहमागहमी है।’ अपनी बात सही साबित करने के लिए वह यह गिनाने से भी नहीं चूकते कि फिलहाल एशिया में करोड़पतियों और अरबपतियों की सबसे बड़ी जमात भारत में ही है।

सीएफसी ने छोटे विमानों, खासतौर पर सेसना के छोटे और मझोले आकार के जेट विमानों को भारतीय बाजार में उतारने की योजना तैयार कर ली है। कंपनी के 22 जेट इस समय भारत में हैं और उनके लिए पिछले 2 साल में कंपनी ने लगभग 210 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है।

रहमान कहते हैं, ‘ज्यादातर भारतीय बैंक हवाई जहाज की कीमत के 75 फीसद से ज्यादा रकम नहीं देते हैं। लेकिन हम उसकी 85 से 90 फीसद तक कीमत कर्ज के रूप में दे देते हैं। हमें पता है कि ग्राहक को विमान की जरूरत क्यों है, इसलिए हम उनसे कोई सवाल नहीं करते।’

कंपनी ने कर्ज वापस करने के लिए भी कई विकल्प रखे हैं। रहमान ने बताया कि कंपनी 20 साल तक के लिए कर्ज देती है, लेकिन उन्होंने ब्याज दर के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ब्याज दर उत्पाद और ग्राहक के मुताबिक होती है। यह पूरी तरह ग्राहक पर ही निर्भर करती है।

सेसना के हल्के जेट विमान की कीमत 11.2 करोड़ से 38 करोड़ रुपये के बीच रखी गई है। मझोली श्रेणी के विमान 48 से 88 करोड़ रुपये में मिल सकते हैं। ये विमान 1,100 से 1,750 नॉटिकल मील की रफ्तार से उड़ सकते हैं और घरेलू यात्रा के लिए अच्छे माने जाते हैं। कंपनी सालाना 10 से 15 जेट विमान बेचने का इरादा रखती है।

उड्डयन क्षेत्र के जानकारों के मुताबिक सेसना ही नहीं विमान बनाने वाली तमाम दूसरी कंपनियां भी इस मैदान में कूदने के लिए तैयार हैं। इनमें एम्ब्रायर, डसॉल्ट, गल्फस्ट्रीम, बम्बार्डियर और रेथियॉन शामिल हैं।

पूर्व एयर मार्शल बी के पांडेय का कहना है कि बिजनेस जेट के बाजार में मुकाबला आने वाले वर्षों में और भी तेज होता जाएगा। वर्ष 2003 में देश में ऐसे विमानों की संख्या महज 50 थी, जो 2007 में बढ़कर 200 तक पहुंच गई। केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्रालय का भी कहना है कि अगले 5 साल में देश में 500 से ज्यादा बिजनेस जेट होंगे।

जाहिर है, बाजार अच्छा है। इसलिए कंपनियां भी प्रचार में पीछे नहीं हैं। वे संभावित ग्राहकों को छोटा विमान खरीदने के फायदे बता रही हैं, मसलन इससे हवाई अड्डे पर अपने कीमती घंटे बर्बाद नहीं करने पड़ते। इसके अलावा कंपनियां इस बाजार को लपकने के लिए भारतीय कंपनियों के साथ विमानों के रखरखाव, मरम्मत आदि के केंद्र भी खोल रही हैं।

सेसना एयरक्राफ्ट कंपनी ने इसके लिए हाल ही में बेंगलुरु की तनेजा एयरोस्पेस ऐंड एविएशन लिमिटेड (टीएएएल) के साथ करार किया है। ये कंपनियां सेसना के जेट विमानों की मरम्मत का काम करेंगी। टीएएएल के कार्यकारी उपाध्यक्ष विमान बिक्री एवं सर्विस संतोष देशपांडे ने भारतीय बिजनेस जेट ग्राहकों का जिक्र करते हुए कहा कि 300 करोड़ रुपये के सालाना कारोबार वाली तमाम मझोली कंपनियां विमान की खरीद कर रही हैं।

उनका कहना है, ‘बिजनेस जेट को अब ऐशोआराम की वस्तु नहीं माना जाता। अब वह कारोबार के औजार हो गए हैं, जिनसे कंपनी की कीमत बढ़ती है।’ अब वे दिन भी लद गए, जब विमानों को टाटा या रिलायंस समूह की जागीर माना जाता था। पिछले दिनों कर्नाटक के बेल्लारी जिले में ही नौ लोगों ने विमान या हेलीकॉप्टर खरीदे हैं।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव आने वाले हैं और चुनाव प्रचार के लिए इन विमानों का इस्तेमाल भी होने वाला है। बेल्लारी चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने वाले एक खदान मालिक ने कहा, ‘पूरी कीमत देकर विमान खरीदने से अच्छा है, किस्तों में काम करना। इसमें खतरा भी तो बहुत कम है।’

First Published - May 20, 2008 | 1:46 AM IST

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