पिछली कुछ तिमाहियों के दौरान खाद्य महंगाई दर में बढ़ोतरी होने से लोगों के पारिवारिक बजट पर दबाव काफी बढ़ गया है लेकिन फिलहाल उन्हें राहत मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं। पैकेटबंद फूड उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी का मानना है कि आगामी तिमाहियों के दौरान भारतीय उपभोक्ताओं को कहीं अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
प्रमुख फूड एवं बेवरिेजेस कंपनी नेस्ले इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सुरेश नारायण का मानना है कि अगले साल खाद्य महंगाई दर में कहीं अधिक तेजी दिख सकती है। कृषि जिंस, तेल एवं पैकेजिंग सामग्रियों की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि के अलावा प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में बेहतर आर्थिक गतिविधियों से खाद्य महंगाई दर को रफ्तार मिलेगी।
नारायणन ने कहा, ‘साल 2022 जाहिर तौर पर एक कठिन वर्ष दिख रहा है। दूध की कीमतों में वृद्धि हुई है और अर्थव्यवस्था के खुलने से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है जिससे मांग में बढ़ोतरी होगी। ऐसे में दाम बढऩा स्वाभाविक है। वैश्विक स्तर पर कॉफी की कीमतों में उल्लेखनीय तेजी दिख रही है। कोकोआ की आपूर्ति में व्यवधान, तेल संबंधी जटिलताओं और पैकेजिंग सामग्रियों की कीमतों में तेजी से लागत 4 से 5 फीसदी बढ़ सकती है। ऐसे में खाद्य मुद्रास्फीति तेजी से हमारी चुनौती बढ़ेगी।’
अन्य कंपनियों के विपरीत नेस्ले को दूध एवं गेहूं जैसे प्रमुख कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि का झटका कम लगा है। नारायणन के अनुसार, हाल में नेस्ले द्वारा कीमतों में की गई बढ़ोतरी पर्याप्त नहीं है। कंपनी ने श्रेणियों के आधार पर 1 से 3 फीसदी की मूल्य वृद्धि की है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि कंपनी ने पैक आकारों कितनी कमी की है।
ऐसे समय में जब लोगों को आय और रोजगार दोनों मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, आवश्यक वस्तुओं के दाम बढऩे से उनके पारिवारिक बजट पर दबाव काफी बढ़ रहा है।
