एफएमसीजी बिक्री मई के मुकाबले जून में कमजोर बनी रही। वहीं ग्रामीण कारोबार के मुकाबले शहरी बिक्री में बड़ी कमजोरी दर्ज की गई। बिजोम के आंकड़े के अनुसार, शैम्पू से लेकर बिस्कुट की बिक्री जिंसों में मुद्रास्फीतिकारी दबाव की वजह से कमजोर बनी रही। जिंसों में कीमतें बढ़ने से उपभोक्ता कंपनियों को कीमत वृद्धि का सहारा लेना पड़ा जिससे मांग प्रभावित हुई।
बिजोम के आंकड़े से पता चलता है कि जून में ग्रामीण बिक्री मई के मुकाबले 0.2 प्रतिशत घट गई।
हालांकि शहरी बिक्री जून में कई के मुकाबले 3.1 प्रतिशत घट गई, क्योंकि टियर-2 शहरों में बिक्री कमजोर रही टियर-2 शहरों में बिक्री 7.5 प्रतिशत नीचे आ गई और मासिक आधार पर बड़े शहरों में यह गिरावट 0.7 प्रतिशत और टियर-3 शहरों में 0.4 प्रतिशत थी।
बिजोम के प्रमुख (इनसाइट एंड ग्रोथ ऑफीसर) अक्षय डिसूजा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘खाद्य तेल और ईंधन दरें जैसे जरूरी उत्पादों के लिए कीमतें निश्चित तौर पर नीचे आने का संकेत है जिनका लॉजिस्टिक पर असर पड़ता है। हमारा मानना है कि इससे उपभोक्ताओं को जल्द राहत मिलेगी। इन उत्पादों में, हमें निश्चित तौर पर अगले महीने ग्रामीण बिक्री में सुधार आने की संभावना है, क्योंकि इसमें जून में सुधार के संकेत दिखे हैं।’
हालांकि अन्य जरूरी उत्पादों से जुड़े एफएमसीजी ब्रांडों द्वारा कीमतों पर पकड़ बरकरार रखे जाने की संभावना है। डिसूजा ने कहा, ‘इनके लिए बिक्री में सुधार संभवत: अच्छे मॉनसून से होने वाली आय पर निर्भर करेगा।’ हालांकि अप्रैल-मई-जून तिमाही तिमाही में बिक्री पिछले साल के मुकाबले 14.2 प्रतिशत तक बढ़ी थी।
डिसूजा ने कहा, ‘अप्रैल-जून 2022 तिमाही में पिछले साल एफएमसीजी पर दबाव की वजह से पैदा हुई मुद्रास्फीति संबंधित समस्याओं के बावजूद सालाना आधार पर दो अंक की वृद्धि दर्ज की गई। पिछले साल कोविड संक्रमण की वजह से तिमाही के दौरान एफएमसीजी बिक्री पर दबाव दर्ज किया गया था। ‘ 2022 की पहली छमाही में खपत पर महंगाई का ज्यादा दबाव देखा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि एफएमसीजी कंपनियों ने कीमत-केंद्रित वृद्धि पर ध्यान दिया है और मौजूदा आधार पर चुनौतीपूर्ण परिवेश की आशंका जताई है।
डिसूजा ने कहा, ‘हाल के महीनों में खपत घटने से उन्हें अपनी वृद्धि संबंधित रणनीतियों को खपत-आधारित वृद्धि को ध्यान में रखते हुए बदलने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।’ बिजोम का कहना है कि ब्रांडों ने कम कीमत के पैकेटों और पैक के वजन में कमी कर अपनी कमाई बढ़ाने जैसे कदम उठाए हैं, जबकि वे उत्पादों की कीमतों में इजाफा करने से परहेज नहीं कर रहे हैं।
आंकड़ों के अनुसार, मई में, शहरी इलाकों में बिक्री 16 प्रतिशत घट गई थी और ग्रामीण इलाकों में यह 16.6 प्रतिशत (अप्रैल के मुकाबले) रही थी।
पारले प्रोडक्ट्स में उत्पाद प्रमुख मयंक शाह का भी कहना है, ‘बेहतर मॉनसून के अनुमान की वजह से मांग में सुधार आया है।’ उन्होंने यह भी कहा कि ऊंची जिंस कीमतों के कारण किसानों को अपने अनाज के लिए बेहतर मुनाफा मिला है।
बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ के साथ एक ताजा साक्षात्कार में विप्रो कंजयूमर के मुख्य कार्याधिकारी विनीत अग्रवाल ने कहा कि मार्च-अप्रैल में मांग परिवेश मई-जून के मुकाबले चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने कहा, ‘मई और जून में, हम मार्च और अप्रैल के मुकाबले मांग में निश्चित तौर पर सुधार देख रहे थे।’
