देश में एफएमसीजी कंपनियों ने शहरी और ग्रामीण दोनों बाजारों में अप्रैल के मुकाबले मई में कमजोर मांग दर्ज की है। कंपनियों द्वारा विभिन्न उत्पादों के दाम बढ़ाए जाने से उपभोक्ताओं के उत्साह में नरमी दिख रही है जिससे खपत को झटका लगा है।
बिजोम के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल के मुकाबले मई में शहरी वृद्धि 16 फीसदी घट गई जबकि ग्रामीण वृद्धि को 16.6 फीसदी का झटका लगा। महीने के दौरान मूल्य के लिहाज से एफएमसीजी की कुल बिक्री में बढ़त 16.5 फीसदी कम रही जबकि सक्रिय किराना वृद्धि में भी 2.5 फीसदी की कमी दर्ज की गई। आंकड़ों के अनुसार, मूल्य के लिहाज से एफएमसीजी की कुल बिक्री में एक साल पहले के मुकाबले 32.9 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि किराना वृद्धि 43.7 फीसदी
अधिक रही। मई 2021 में कोविड की दूसरी लहर चरम पर थी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए स्थानीय प्रतिबंधों के कारण कई किराना स्टोर बंद हो गए थे। इसलिए तुलना करने पर मई 2022 के आंकड़े अधिक दिखते हैं।
मई में कमोडिटी (आटा, खाद्य तेल आदि) की खपत में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई। इस श्रेणी पर सबसे ज्यादा असर पड़ा क्योंकि अप्रैल के मुकाबले मई में यह 31.6 फीसदी घटा। बिजॉम के चीफ इनसाइट व ग्रोथ अफसर अक्षय डिसूजा ने कहा, जिन जिंसों की कीमतें हाल में बढ़ी है वहां ग्राहक छोटे पैक की स्टॉकिंग इस उम्मीद में करते दिखे कि भविष्य में कीमत घटेगी।
होम केयर उपभोग भी मई में घटा क्योंकि यह 10.4 फीसदी नीचे आया, वहीं बेवरिजेज में सबसे कम असर दिखा क्योंकि इसकी बिक्री अप्रैल के मुकाबले 1.1 फीसदी घटी।
डिसूजा ने कहा, श्रेणी के तौर पर सिर्फ बेवरिजेज में मजबूती दिखी, जिसे भीषण गर्मी आदि का सहारा मिला।
उन्होंने यह भी कहा कि ज्यादातर श्रेणियों में मई के दौरान वैल्यू ग्रोथ पर असर दिखा। डिसूजा ने कहा, यह इस वास्तविकता को बताता है कि कीमत के लचीलेपन की एक सीमा होती है और उपभोक्ता वैल्यू खोज रहा है और अपनी हैसियत के मुताबिक खर्च को समायोजित कर रहा है।
