फ्लिपकार्ट में ब्रांड मार्केटिंग की निदेशक मंजरी सिंघल पिछले सप्ताह के दौरान कंपनी की बिग बिलियन डेज (बीबीडी) शुरू होने के दौरान हर रोज 2-3 घंटे से ज्यादा नहीं सो पाईं। हालांकि वह दावा करती हैं कि सेल की इस पूरी अवधि के दौरान न तो वह थककर चूर हुईं और न ही उनके उत्साह में कमी आई। मंजरी कहती हैं कि हमें दिन में चार बार 15 मिनट के लिए आराम के वास्ते अवकाश दिया गया था। कर्मचारियों को फिर से ऊर्जावान और सक्रिय करने के लिए ऐसा किया गया था। इससे हम काम में जुटे रहे।
किसी सामान्य बीबीडी सेल के दौरान अगर कोई इस ई-कॉमर्स दिग्गज के बेलंदूर परिसर में आए, तो उसे किसी उत्सव जैसा नजारा देखने का मिलता है – फ्लोर पर थिरकते लोग और संगीत, समूहों में चल रहा कला सत्र। हालांकि इस सातवें संस्करण के दौरान परिसर में एक खामोशी थी, क्योंकि इस पूरे कार्यक्रम का संचालन हजारों कर्मचारियों द्वारा अपने घरों से किया जा रहा था। लेकिन ऑनलाइन काम करने वाले इन सभी लोगों के लिए उत्सव जैसे अनुभव में कोई कमी नहीं आई।
इस आभासी आयोजन की शुरुआत स्टैंड-अप कॉमेडी सत्र से हुई थी और इसके बाद कुर्सी पर आराम से बैठकर किए जाना वाला योग, निर्देशानुसार किया जाने वाला ध्यान, ‘हास्य उपचार’ और श्वास-प्रतिश्वास अभ्यास जैसे कार्यक्रम थे ताकि ऑनलाइन काम करने वाले कर्मचारियों को स्वस्थ रखा जा सके। संगीत और नृत्य के सत्र भी थे जिनमें विभिन्न टीमें काम के बोझ के दौरान अल्पविराम लेती थीं।
ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि फ्लिपकार्ट के कर्मचारियों के परिवार भी इतने अंतरंग तरीके से बीबीडी सेल का हिस्सा बने। सभी बीबीडी सेल कार्यक्रम का हिस्सा रहने वाले फ्लिपकार्ट के मुख्य वास्तुकार उत्कर्ष बी कहते हैं,’ इस आभासी आयोजन के दौरान मैं अपनी टीम के और ज्यादा करीब आ गया हूं, क्योंकि अब मैं उनके पीछे खड़े रहने वाले परिवारों को और बेहतर तरीके से जानता हूं। हमने चुटकुले सुनाए, अपनेपन का एहसास कराने वाले बच्चों के साथ बातचीत की।’
कुछ टीमों के लिए भोजन भी एक-दूसरे को जोडऩे वाला सूत्र बन गया था। शाम की चाय के समय उन्होंने न केवल खाना पकाने की विधि ही साझा की, बल्कि कई मौकों पर परिवारों के साथ मिलकर घर पर बनाए हुए खाने का भी स्वाद लिया।
उत्कर्ष कहते हैं कि व्यक्तिगत रूप से मुलाकातें करना हमेशा सबसे सही रहता है, लेकिन इस आभासी दौर से कई बातें सीखने को मिली हैं। हमें अच्छी चीजों को आगे बढ़ाना चाहिए। जैसे अगली बार जब बीबीडी सेल का आयोजन परिसरों में हो, तो कुछ घंटे ऐसे निर्धारित किए जाने चाहिए जिनमें परिवारों को आमंत्रित किया जा सके।
हालांकि ये टीमें मार्च से ही घरों से काम कर रही थीं, लेकिन उनके दिमाग में सबसे पहले यही सवाल था कि अगर बीबीडी सेल को आभासी रूप से करना पड़े, तो वे लोग इसकी शुरुआत कैसे करेंगे। इन अनिश्चिताओं पर जुलाई में विराम लगा, जब यह तय किया गया कि इसे दूर रहते हुए ही संचालित किया जाना है। आपूर्ति शृंखला से लेकर विपणन और भुगतान जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए 80 से अधिक वर्चुअल वॉर रूम तैयार किए गए थे। इन तक सभी कर्मचारियों की पहुंच थी। वास्तविक कार्यालय के अनुभव का अनुसरण करते हुए कोई भी इनमें से किसी भी वार रूम में जा सकता था। लेकिन इन वॉर रूम द्वारा वास्तव में काम शुरू किए जाने से पहले नकली वॉर रूम भी तैयार किए गए थे और इस परीक्षण के दौरान समस्याओं को हल करने के लिए अगर-मगर वाले हालात पैदा किए गए थे। अगर कुछ गलत होता है, तो उसे संभालने के लिए लोगों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
विशेष स्वैट टीमें बनाई गई थीं जिनमें मामलों की गहन जानकारी रखने वालों और प्रत्येक मामले की व्यापक समझ रखने वाले लोगों को शामिल किया गया था। बैंकिंग और भुगतान संबंधी भागीदारों के साथ लेन-देन करने के लिए गूगल के इंटरएक्टिव व्हाइटबोर्ड – जेमबोर्ड का इस्तेमाल किया गया था। पिछली बीबीडी सेल के दौरान फ्लिपकार्ट में कारोबार प्रमुख (वित्तीय प्रौद्योगिकी एवं भुगतान समूह) स्मृति रविचंद्रन ने कंपनी द्वारा ग्राहकों के लिए लाए जाने वाले विशेष सौदों पर विचार-विमर्श के लिए एक महीन में मुंबई की 10 यात्राएं की थीं।
रविचंद्रन का कहना है कि इन सौदों को अंतिम रूप देने के लिए कई गुप्त बैठकें हुईं। इस साल हमारे सभी भागीदारों ने वर्चुअल माध्यम को अपनाया है तथा समस्या हल करने का काम ज़ूम और जेमबोर्ड के माध्यम से किया गया। मुख्य कार्याधिकारी कल्याण कृष्णमूर्ति सहित अन्य अधिकारियों ने तत्काल आधार पर समस्याओं को हल करने के लिए हर रोज कम से कम तीन बैठकें कीं। मार्केटिंग और संवाद की बात करें, तो हालांकि टीमों के पास स्टूडियो की पूरी पहुंच नहीं थी, हर कोई जूम पर था।
