भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भारतीय उद्योग जगत से अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (एमडी) की जिम्मेदारियां अलग करने की दिशा में काम करने को कहा है। जहां इससे संबंधित अंतिम समय-सीमा एक साल दूर है, वहीं बाजार नियामक यह संकेत दे रहा है कि इस समय-सीमा में विस्तार नहीं किया जाएगा।
सीआईआई कॉरपोरेट गवर्नेंस समिट में सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा, ‘नियम अब बाजार पूंजीकरण के लिहाज से प्रमुख 500 सूचीबद्घ कंपनियों के लिए लागू होगा और यह 1 अप्रैल, 2022 से प्रभावी होगा। दिसंबर 2020 के अंत में, प्रमुख 500 सूचीबद्घ कंपनियों में से सिर्फ 53 प्रतिशत ने ही इस नियम का पालन किया था। मैं पात्र सूचीबद्घ कंपनियों से समय-सीमा के संबंधित इस बदलाव के लिए पहले से ही तैयार रहने का अनुरोध करना चाहूंगा।’
सीएमडी पद को अलग करने के संबंधित में नियम 1 अप्रैल, 2020 से प्रभावी होना था। लेकिन सेबी ने उद्योग की मांग को ध्यान में रखते हुए इस समय-सीमा को दो साल तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि यह नियम प्रवर्तकों की हैसियत कमजोर बनाने के लिए नहीं है बल्कि कॉरपोरेट प्रशासन में सुधार के लिए है।
उन्होंने कहा, ‘मुख्य मकसद प्रबंधन के अधिक प्रभावी मार्गदर्शन के जरिये बेहतर और संतुलित प्रशासनिक ढांचा मुहैया कराना है। जिम्मेदारियों को अलग करने से एक ही व्यक्ति पर अधिकार की अत्यधिक एकाग्रता घटेगी।’
स्वतंत्र निदेशकों से संबंधित सेबी के नए प्रस्ताव पर त्यागी ने कहा कि इसका मकसद स्वतंत्र निदेशकों के चयन में पारदर्शिता लाना और कॉरपोरेट बोर्डों के कार्यों को आसान बनाना था।
प्रशासनिक मानकों को मजबूत बनाने के लिए सेबी ने सभी म्युचुअल फंडों के लिए प्रबंधन संहिता निर्धारित की है जिसमें फंड प्रबंधकों को निवेश से संबंधित सूचीबद्घ कंपनियों द्वारा जारी रिजोल्यूशन पर अपने मत देना अनिवार्य है।
त्यागी ने कहा कि सेबी के प्रत्यक्ष विनियमन से अलग संस्थागत निवेशक समान कदमों पर अमल कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं यह कहना चाहूंगा कि बैंकों, बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों जैसे कॉरपोरेट चेत्रों में अन्य संस्थागत भागीदारों को भी पारदर्शी प्रबंधन संहिता पर अमल करना होगा, जिससे कि वे अपने ग्राहकों/लाभार्थियों के लिए सही तौर पर जवाबदेह बन सकें।’
सेबी प्रमुख ने सूचीबद्घ कंपनियों को अपने अल्पांश शेयरधारकों को व्यवसायों पर कोविड-19 महामारी से अवगत बनाए रखने का भी निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा, ‘इन खुलासों में व्यवसाय, प्रदर्शन और वित्त पर कोविड-19 का प्रभाव शामिल होना चाहिए। यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि जब सूचीबद्घ कंपनियां कोविड-19 संबंधित प्रभाव के बारे में जानकारियों का खुलासा करें तो उन्हें सिर्फ चुनिंदा जानकारियों का ही सहारा नहीं लेना चाहिए बल्कि अन्य सभी संबंधित खुलासों को भी साझा करना चाहिए।’
त्यागी ने कहा कि कॉरपोरेट बोर्डों में स्वतंत्र निदेशकों के चयन में श्रेष्ठ गुणवत्ता और कामकाज में पारदर्शिता लाना सेबी की कोशिश रही है। बाजार नियामक ने हाल में इस संबंध में एक चर्चा पत्र भी जारी किया है।
चर्चा पत्र में प्रस्ताव स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति, उन्हें हटाने, पारिश्रमिक से संबंधित हैं और इन्हें अल्पांश शेयरधारकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण समझा जाएगा। त्यागी ने कहा कि चर्चा पत्र में बहुलांश शेयरधारकों के अंतिम निर्णय के अधिकार और अल्पांश शेयरधारकों की क्षमता के बीच संतुलन बिठाने की कोशिश की गई है।
चर्चा पत्र में सेबी ने स्वतंत्र निदेशकों के पारिश्रमिक (खासकर उनके भुगतान को मुनाफे से जोडऩे की बहस के संबंध में) के बारे में सार्वजनिक प्रतिक्रिया मांगी है।
